Published On Jun 18, 2023
देवभूमि उत्तराखंड मैं एक जिला है अल्मोड़ा,अल्मोड़ा से लगभग 140 किलोमीटर दूर बागेश्वर के निकट एक गांव है गुरना, अब बात करते है आज की जागर की देवभूमि उत्तराखंड में कन्याओं में शादी से पहले मषाण का अपना प्रभाव रहता है और उसको किसी सिद्ध देव डांगर के द्वारा मनाया और पूजा जाता है, किन्तु पूजने से पहले उससे वचन लिया जाता है कि उक्त महिला को बालक देगा जब घर में ख़ुशी देगा तब तुझे खाना दाना सब मिलेगा और जब बालक होता है उसके 22 दिन बाद वैसव जागर लगाईं जाती है देवता बच्चे को अपने गोद में खिलाते है और आशीर्वाद देते है वैसव के दूसरे दिन से जब भी पूष और भादों का महीना आता है मसाण को पूजा दी जाती है और उसके बाद मसाण अपना अवतार छोड़ देता है और कभी कभी किसी महिला में अवतार नही होता है तो देव डांगर मसाण को उससे छुढ़ाव करते है देवभूमि की संस्कृति को संजोए रखने का एक प्रयास है सभी अपनी संस्कृति की जानकारी रखे वर्ना जिस तरह केरल में घटना हुई आज उत्तराखंड में भी देखने को मिल रहा है हमारी पीढ़ी केरला स्टोरी में आसानी से धर्म परिवर्तन कर रही थी वैसे उत्तराखंड में भी करेंगी या कर रही है क्योंकि उनको अपने धर्म देवी देवता या संस्कृति की जानकारी नही है ...