गवरी पाबूजी राठोड़ का खेल, भाग-1 .मेवाड़ का नंबर एक सुपरहिट खेल
Gorjiya Chenal Jawad Gorjiya Chenal Jawad
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 Published On Oct 5, 2018

2018,जावद राजसमंद
पाबूजी का विवाह अमरकोट के राजा सूरजमल सोढा की पुत्री सुपियारदे से तय हुआ. सोढ़ा राजकुमारी सुपियारदे से विवाह करने के लिये वे देवल देवी की घोड़ी कालवी मांगकर लेकर गये थे. देवल देवी ने उनसे वचन लिया था कि यह घोड़ी उनकी गायों की रक्षा करती है. अगर मेरी गायों पर कोई संकट आये तो आप तत्काल इनकी रक्षा के लिये आयेंगे.
जब सुपियारदे के साथ पाबूजी के फेरे पड़ रहे थे तभी देवल देवी की गायों को जिन्दराव खींची द्वारा हरण की जानकारी पाबूजी को दी गई. जिंदराव खींची पाबूजी का बहनोई था. पाबूजी ने देवल देवी को वचन दिया था इसलिए उन्होंने फेरे अधूरे छोड़कर गायों को बचाने पहुंच गये.
वहां उन्होंने जिन्दराव खींची से युद्ध कर गायों को छुड़ा लिया और देवल देवी को सौंपने चल दिये. तीन दिन की इन भूखी-प्यासी इन गायों को रास्ते में एक कुएं पर जब वे पानी पिला रहे थे तभी बीच जिन्दराव ने इन पर दोबारा आक्रमण कर दिया.
इस संघर्ष में पाबूजी अपने साथियों के साथ वीरगति को प्राप्त हुए. इस घटना के प्रभाव में पाबूजी लोकदेवता के रूप में पूजे जाने लगे. पाबूजी विक्रम सवंत 1323 (सन् 1266 ई.) में वीरगति को प्राप्त हुए.

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