Published On Aug 29, 2020
हिंदी साहित्य में दलित-बहुजन विमर्श को केंद्रीय विषय बनाने वाले साहित्यकारों में फणीश्वरनाथ रेणु अग्रणी रहे। उनकी रचनाओं को द्विज साहित्यकारों ने आंचलिक साहित्य कहकर सीमित करने का प्रयास किया। उनके जन्म शताब्दी वर्ष के आलोक में फारवर्ड प्रेस उनकी रचनाओं और विमर्शों पर आधारित लेखों का प्रकाशन कर रहा है। इस कड़ी में पढ़ें यह विशेष परिचर्चा। इसमें मुख्य वक्ता हैं पूर्णिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. सुरेंद्र नारायण यादव और उनसे नवल किशोर कुमार और अरूण नारायण ने ऑनलाइन प्लेटफार्म “जूम” के जरिए बातचीत की है।
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