Kaise Bhool Jaun | Zuhair Qain & Haider Raza | Anjuman Sipahe Hussaini, Bhanauli Sadat
Azadari Bhanauli Azadari Bhanauli
46.2K subscribers
98,914 views
2K

 Published On Sep 14, 2020

Noha 25 Moharram Shahadat-e-Imam Sajjad a.s
Kaise Bhool Jaun
کیسے بھول جاؤں
कैसे भूल जाऊं
Poetry- Waiz Sultanpuri
Recited By- Haider Raza & Zuhair Qain
Label- Azadari Bhanauli
Anjuman Sipah-e-Hussaini, Bhanauli Sadat

Lyrics (हिंदी)

जब कैद से छुटकर के वतन आ गया कुनबा
पुरसे के लिए आने लगे अहले मदीना
और सैय्यदे सज्जाद बहुत करते थे गिरिया
जब चाहने वालों ने कहा अये मेरे मौला
न रोईए हमको भी बहुत होता है सदमा
खूँ आँखों से बरसाते थे तब आबिदे मुज़तर
हर एक को समझाते थे नौहा यही पढ़कर

कैसे भूल जाऊं क्यूँ न अश्क बहाऊँ
बोले रोकर आबिदे मुज़तर कैसे भूल जाऊं
क्यूँ न अश्क बहाऊँ...

कर्बोबला का ख़ूनी मन्ज़र कैसे भूल जाऊं
क्यूँ न अश्क बहाऊँ...

1.
क़ासिम के लाशे पा घोड़े आदा ने दौड़ाए
मय्यत के टुकड़े बाबा गठरी में लेकर आए
मैं हूँ बड़ा भाई कासिम का क्यूँ न दिल फट जाए
जान से प्यारा था वो बरादर कैसे भूल जाऊं
क्यूँ न अश्क बहाऊँ...

2.
ग्यारह मोहर्रम को ज़ालिम ने हुक्म दिया चलने का
मक़तल में बेगोरो कफन था बाबा जाँ का लाशा
हाए मेरी तक़दीर की मैं उनको न कफ़न दे पाया
आ न सका उनको दफ़नाकर कैसे भूल जाऊं
क्यूँ न अश्क बहाऊँ...

3.
शाम के उस दरबार का मंजर आबिद कैसे भूले
अहले हरम जब नंगे सर दरबार के अंदर पहुँचे
मेरी माँ बहनों ने छुपाए थे बालों से चेहरे
मैं रोता था सर को झुकाकर कैसे भूल जाऊं
क्यूँ न अश्क बहाऊँ...

4.
हाए वो हमशकले पयम्बर मेरा प्यारा भाई
जिसके साथ गई है मेरे बाबा की बीनाई
सीने पे अठ्ठारह बरस वाले ने बरछी खाई
मैं हूँ ज़िंदा मर गए अकबर कैसे भूल जाऊं
क्यूँ न अश्क बहाऊँ...

5.
बात जवाँ की और ज़ईफी में था मेरा बाबा
घुटनों के बल चलके अकबर के सरहाने पहुँचा
फूल से सीने में हाए जब बरछी का फल देखा
रोए तड़पकर सिब्ते पयम्बर कैसे भूल जाऊं
क्यूँ न अश्क बहाऊँ...

6.
वक़्ते रुखसत खैमे में जब आए मेरे बाबा
लाल था खूने असग़र से शाहे वाला का चेहरा
खम थी कमर और ज़ख्मों से था चूर बदन इस तरह
याद आता है सब रह रह कर कैसे भूल जाऊं
क्यूँ न अश्क बहाऊँ...

7.
सब को खुदा हाफिज़ कहकर मक़तल में पहुंचे बाबा
चारों जानिब से उनको फौजे आदा ने घेरा
सूखे गले को बेरहमी से शिम्रे लईं ने काटा
खुश्क गाला और कुंद था खंजर कैसे भूल जाऊं
क्यूँ न अश्क बहाऊँ...

8.
शाम-ए-गरीबां आई अपने साथ कयामत लेकर
आग लगा दी फौजे आदा ने खैमो में आकर
छीनी गई नोके नैज़ा से माँ बहनो की चादर
हाए कयामत का वो मंज़र कैसे भूल जाऊं
क्यूँ न अश्क बहाऊँ...

9.
शाम का था बाज़ार बरहना सर था मेरा कुनबा
जितने तमाशाई थे सबके हाथों में पत्थर था
बेरहमो ने मेरी सकीना को भी पत्थर मारा
खून से तर थी मेरी ख़्वाहर कैसे भूल जाऊं
क्यूँ न अश्क बहाऊँ...

10.
अए वाएज़ एक हश्र बपा था अहले वतन थे
साथ रसूल अल्लाह के ज़हरा और हसन रोते थे
शहे नजफ जब रोते थे सब मर्दों जन रोते थे
आबिद के इस बैन को सुनकर कैसे भूल जाऊं
क्यों ना अश्क बहाऊं

**तमाम**

Video Access-
bole rokar abide muztar kaise bhool jaun, Waiz Sultanpuri, Ayyame Aza 1442, Azadari Bhanauli, Anjuman Sipah-e-Hussaini, Bhanauli Sadat, Zuhair Qain, Bhanauli Sadat, Nauha, New Noha 2020

#azadaribhanauli #waizsultanpuri

►Social Media:-
Subscribe :    / azadaribhanauli  
Want to chat? Hit me up on social media!
Instagram:   / iamrizvi  
Facebook:   / bhanaulisadat  

show more

Share/Embed