Published On Nov 14, 2020
न छुयाँल रयाँ गौं माँ, न त हुंगारा लांद क्वी। स्वर विवेक कुड़ियाल Vivek Kuriyal,
गीतकार एवं धुन श्री रज्जु बिष्ट
पहाड़ में छूट चुके वे वृद्ध लोग जिनकी संताने उनसे दूर परदेस में रह रही हैं, वे अपने परिवार के बिना किस प्रकार गांव में अपने दिन गुजार रहे हैं, इसी पीड़ा को बयां करता ये गीत।
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