अनासक्त्त भाव से कर्म करना। भगवद्गीता अध्याय ३ / १८,१९,२०,२१ श्लोक
Manasvini KC Manasvini KC
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 Published On Sep 30, 2024

स्वरूप सिद्ध व्यक्ति के लिए किसी नियत कर्म को करने की आवश्यकता नहीं होती।

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