Published On Dec 28, 2023
Bhajan - Ud Jayega Hans Akela - Kabir - उड़ जायेगा हंस अकेला - कबीर
उड़ जायेगा उड़ जायेगा,
उड़ जायेगा हंस अकेला,
जग दर्शन का मेला।
जैसे पात गिरे तरुवर पे,
मिलना बहुत दुहेला,
ना जाने किधर गिरेगा,
ना जानूं किधर गिरेगा,
गगन पवन का रेला,
उड़ जायेगा उड़ जायेगा,
उड़ जायेगा हंस अकेला,
जग दर्शन का मेला।
जब होवे उमर पूरी
जब छूटे गा हुकुम हुज़ूरी
यम के दूत बड़े मज़बूत
यम से पडा झमेला,
उड़ जायेगा उड़ जायेगा,
उड़ जायेगा हंस अकेला,
जग दर्शन का मेला।
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