Published On Aug 1, 2019
Shancha Mela
सांगरी क्षेत्र का दो दिवसीय ऐतिहासिक शणचा मेला संपन्न
क्षेत्र के हजारो लोगो ने देवता के समक्ष नवाया शीश
देव विदाई के साथ दो दिवसीय ऐतिहासिक शणचा मेला संपन्न
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तहसील कुमारसैन के सांगरी क्षेत्र का दो दिवसीय ऐतिहासिक शणचा मेला बड़ागांव में धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया सांगरी क्षेत्रवासियो ने दो दिवसीय इस मेले में अपने ईष्ट आराध्य देव ब्रहमेश्वर महादेव व बानेशवर देवता बनाहर के दर्शन किए व सुख समृद्धि की कामना की मेले का शुभारम्भ मंगलवार को देवता ब्रहमेश्वर महादेव व बानेशवर देवता बनाहर के आगमन से हुआ सांगरी क्षेत्र के बड़ागांव, बनाहर शिवान भरेड़ी शलोटा पलारन पावछी छविशी कुमारसैन कांगल कोटीघाट सहित आसपास के हजारो लोगो ने ब्रहमेश्वर महादेव व बानेशवर देवता बनाहर के दर्शन किए इस दौरान मेले में दिन भर नाटियो का दौर चलता रहा स्थानीय लोगो ने मेले में जमकर खरीदारी की व देवता के दर्शन कर सुख समृद्धि की कामना की मेले के प्रति युवाओ में काफी उत्साह दिखा मेले में देव विदाई के बाद देवलुओ द्वारा मंदिर में पारम्परिक ग्वाडू नृत्य किया गया जिसका क्षेत्र के लोगो ने भरपूर लुप्त उठाया
ग्वाड़ू नाटी पर जमकर झूमें ग्रामीण
ऐतिहासिक शणचा मेला के समापन अवसर पर ग्रामीण ग्वाड़ू नाटी पर जमकर झूमें जिसका क्षेत्र के लोगों ने भरपूर लुप्त उठाया। पारंपरिक ग्वाड़ू नृत्य को आज भी ग्रामीणों द्वारा संजोह के रखा गया है सालो पहले जब हर घर में ग्रामीणों के अधिक संख्या में पशु व भेड़ बकरियां हुआ करती थी तो पशुओ को मेले वाले दिन भी जंगल में चराने जाना पड़ता था जिस वजह से ग्वाले मेले को देखने से महरून हो जाते थे वह जब शाम को पशुओ को चरा कर वापिस लौटते थे तो सभी ग्वाले मंदिर में एकत्रित होते थे व नृत्य करते थे जिसे ग्वाड़ू नाटी कहते है सभी मेले के अंतिम पड़ाव में नृत्य कर खुशियां मनाते थे ग्वाड़ू नाटी को ग्रामीणों ने आज भी संजोह कर रखा है