29 नियम भाग-4 !! ध्यान से सुने !! स्वामी सच्चिदानंद जी आचार्य
Jambh Wani जम्भ वाणी Jambh Wani जम्भ वाणी
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 Published On Aug 5, 2024

29 नियम भाग-4 !! ध्यान से सुने !! स्वामी सच्चिदानंद जी आचार्य

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निवण प्रणाम🙏 दोस्तो जम्भ वाणी चैनल पर आपका स्वागत है। हमारा उदेश्य सतगुरु जाम्भोजी कि शिक्षा और बिश्नोई समाज के बारे मे जानकारी देना है। अगर आप जम्भ वाणी चैनल पर पहली बार आये है तो चैनल को सब्सक्राइब🔔 करे ले। ताकि सतगुरु जांभोजी के शब्दो का भावार्थ और अपने विश्नोई समाज के बारे में अधिक से अधिक जानकारी पराप्त कर सके।
✨धन्यवाद !!

गुरु श्री जम्भेश्वर भगवान ने विक्रमी संवत 1542 सन 1485 में 34 वर्ष की अवस्था में बीकानेर राज्य के समराथल धोरे पर कार्तिक वदी अष्टमी को पाहल बनाकर बिश्नोई पंथ की स्थापना की थी।इन्होंने शब्दवाणी के माध्यम से संदेश दिए थे, इन्होंने अगले 51 वर्ष तक में पूरे भारतवर्ष का भ्रमण किया और ज्ञानोपदेश दिया।गुरु जंभेश्वर भगवान ने छुआछूत ,जात पात ,स्त्री पुरुष में भेदभाव, पेड़ पौधों की कटाई ,जीव हत्या एवं किसी प्रकार कि नशे क प्रवृत्ति जैसी सामाजिक कुरीतियोंं को दूर किया वर्तमान में गुरु उपदेश दिये वो शब्दवाणी में 120 शब्द के रूप में मौजूद है।

Bishnoi 29 Rules
श्री गुरु जम्बेश्वर भगवान् द्वारा बताये गए 29 नियम इस प्रकार है –

प्रतिदिन प्रात:काल स्नान करना।
30 दिन जनन – सूतक मानना।
5 दिन रजस्वता स्री को गृह कार्यों से मुक्त रखना।
शील का पालन करना।
संतोष का धारण करना।
बाहरी एवं आन्तरिक शुद्धता एवं पवित्रता को बनाये रखना।
तीन समय संध्या उपासना करना।
संध्या के समय आरती करना एवं ईश्वर के गुणों के बारे में चिंतन करना।
निष्ठा एवं प्रेमपूर्वक हवन करना।
पानी, ईंधन व दूध को छान-बीन कर प्रयोग में लेना।
वाणी का संयम करना।
दया एवं क्षमा को धारण करना।
चोरी नही करनी।
निंदा नही करनी।
झूठ नही बोलना।
वाद – विवाद का त्याग करना।
अमावश्या के दिन व्रत करना।
विष्णु का भजन करना।
जीवों के प्रति दया का भाव रखना।
हरा वृक्ष नहीं कटवाना।
काम, क्रोध, मोह एवं लोभ का नाश करना।
रसोई अपने हाध से बनाना।
परोपकारी पशुओं की रक्षा करना।
अमल का सेवन नही करना।
तम्बाकू का सेवन नही करना।
भांग का सेवन नही करना।
शराब का सेवन नही करना।
बैल को बधिया नहीं करवाना।
नील का त्याग करना।

बिश्नोई 29 नियम काव्य खंड
ऊदोजी नैण बिश्नोई पंथ के बहुत प्रसिद्ध कवि हुए हैं। उन्होंने इन नियमों को पद्य में प्रस्तुत किया है। ऊदोजी नैण द्वारा पद्य में प्रस्तुत उनतीस नियम इस प्रकार हैं-

तीस दिन सूतक, पांच ऋतुवन्ती न्यारो ।
सेरा करो स्नान, शील, सन्तोष शुची प्यारो ।।
द्विकाल संध्या करो, सांझ आरती गुण गावो ।
होम हित चित प्रीत सूं होय, वास बैकुंठे पावो ।।
पाणी, बांणी, ईन्धणी दूध इतना लीजै छाण ।
क्षमा दया हिरदै धरो, गुरु बतायो जाण ।।
चोरी, निन्दा, झूठ बरजियों, वाद न करणो कोय ।
अमावस्या व्रत राखणो, भजन विष्णु बतायो जोय ।।
जीव दया पालणी, रूंख लीला नहिं घावै ।
अजर जरैं, जीवत मरै, वे वास बैकुण्ठा पावै ।।
करें रसोई हाथ सूं, आन सूं पला न लावै ।
अमर रखावै थाट, बैल बधिया न करावें ।।
अमल, तमाखू, भांग, मद-मांस सूं दूर ही भागे ।
लील न लावै अंग, देखत दूर ही त्याग ।।
‘उणतीस धर्म की आखड़ी, हिरदै धरियो जोय ।
गुरु जाम्भोजी किरपा करी, नाम बिश्नोई होय ।”

बिश्नोई समाज के 29 नियमों को पद्य रूप में प्रदर्शित करती हुई है पंक्तियां समाज के 29 नियमों का अर्थ विशेष रुप से प्रदर्शित करती हैं।

स्वामी सच्चिदानंद आचार्य
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राव बिदा कि संपूर्ण कथा !! यह कथा सुनकर धर्म के प्रति निष्ठा और गहरी हो जाएगी!! शुक्ल हंस शब्द-67
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