चमत्कारी सालासर बालाजी धाम, जहां हनुमान जी हैं दाढ़ी मूछ वाले अनोखे रूप में विराजमान| 4K | दर्शन 🙏
Tilak Tilak
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 Published On Premiered Sep 9, 2022

भक्तों नमस्कार! प्रणाम! सादर नमन और अभिनन्दन.... भारत में दो बालाजी मंदिर मशहूर हैं। एक तो आंध्रप्रदेश में स्थित तिरूपति बालाजी मंदिर और दूसरा राजस्थान में स्थित सालासर बालाजी का मंदिर।

भक्तों जहां आन्ध्रप्रदेश के तिरुपति मंदिर में बालाजी के रूप में भगवान नारायण विराजमान हैं तो वहीं राजस्थान के सालासर मंदिर में बाला जी के रूप में हनुमान जी महाराज प्रतिष्ठित हैं।
भक्तों सालासर बाला जी के मंदिर की महिमा अपार है। संभवतः यह हनुमान जी की महिमा और चमत्कारों का ही परिणाम है कि साल दर साल लोगों की आस्था, सालासर धाम और यहाँ विराजमान हनुमान जी के प्रति बढ़ती जा रही है। सालासर बालाजी मंदिर, हनुमानजी का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां हनुमानजी गोल चेहरे के साथ दाढ़ी और मूछों में दिखते हैं।

सालासर बालाजी मंदिर के बारे में:
भक्तों सालासर बालाजी मंदिर राजस्थान के चुरू जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 668 पर स्थित है। वर्ष के 12 महीने और प्रतिदिन देश और दुनिया के असंख्य भक्त दर्शन के लिए सालासर धाम पहुँचते हैं। यह जयपुर - बीकानेर राजमार्ग पर स्थित है। सालासर की दूरी सीकर से 57, सुजानगढ़ से 24 और लक्ष्मणगढ़ से 30 किमी है।

सालासर बालाजी की अद्वितीय मूर्ति:
भक्तों सालासर बालाजी मंदिर में विराजमान बालाजी अर्थात हनुमान जी के गोल मुखाकृति पर दाढ़ी मूछ से सुशोभित है। शेष मुखमंडल सिंदूर की लालिमा से अलंकृत है। भक्तों, जिस प्रकार सालासर बालाजी अर्थात हनुमान जी की मूर्ति अद्वितीय है उसी प्रकार मंदिर के निर्माण का इतिहास भी बड़ा अद्भुत है। सालासर मंदिर के अलावा हनुमान जी की ऐसी मूर्ति कहीं और नहीं है। इस मंदिर के सभी बर्तन और दरवाजे चांदी से निर्मित हैं।

मंदिर स्थापना:
भक्तों सालासर बालाजी धाम की स्थापना विक्रम सम्वत 1811 श्रावण सुदी नवमी को, हनुमान जी महाराज के परम भक्त संत मोहनदास जी ने करवाई थी। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने में दो साल लगे थे। इसे बनाने वाले कारीगर मुस्लिम थे, जिनका नाम नूरा और दाउद था। पूरा मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है।

मोहनदास को बालाजी का दर्शन:
भक्तो कहा जाता है कि मोहनदासजी बचपन से ही धार्मिक प्रवित्ति के साथ साथ हनुमान जी के परम भक्त भी थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर हनुमान जी स्वयं दर्शन देने संत वेष में उनके घर पधारे। जब मोहनदास जी संत के निकट गए तो वो तेज़ी से वापस लौटने लगे। मोहनदास उनके पीछे चल दिए। एक जंगल में संत रूपी हनुमान जी रुके तो मोहनदासजी उनके चरणों पर गिर कर से रोने लगे। उन्होने रोते हुये अपने अपराधों की क्षमा मांगी तथा वापस घर चलने का आग्रह किया। तब संत रूपी हनुमान जी मोहनदास के साथ घर जाकर भोजन विश्राम किए तथा मोहनदास को भक्ति का साख्य भाव प्रदान कर अन्तर्धान हो गए।
भक्तों मोहनदास ने हनुमान जी अन्तर्धान होने से भाव विह्वल हो गए। उन्होने विह्वलता में रोते हुये हनुमान जी से प्रार्थना की, कि मैं आपके बिना एक पल भी नहीं रह सकता। तब हनुमान जी ने मोहनदास की प्रार्थना स्वीकार करते हुए स्व्प्नादेश देते हुये कहा कि “मैं सालासर (सालमसर) में मूर्ति स्वरूप में तुम्हारे साथ रहूंगा”।

श्री बाला जी का मूर्ति स्वरूप में प्राकट्य:
भक्तों कथा के अनुसार सालासर धाम में विराजमान बाला जी महाराज का मूर्ति स्वरूप में प्राकट्य भी बड़ा रोचक है। एक बार नागोर जिले के असोटा गांव में एक जाट किसान अपना खेत जोत रहा था। तभी उसका हल का नोक किसी पथरीली चीज से टकराया। उसने खोदा तो उसे वहाँ एक पत्थर प्राप्त हुआ। जब उसने अपने अंगोछे से उस पत्थर को साफ किया तो देखा कि पत्थर पर बालाजी महाराज की छवि अंकित है। उसी समय जाट की पत्नी खाना लेकर आ गयी। दोनों पति पत्नी ने पत्थर पर अंकित हनुमान जी को साष्टांग नमन किया और पत्नी द्वारा लाए गए बाजरे के चूरमे का पहला भोग बालाजी को लगाया। इसीलिए तब से लेकर आज तक सालासर बालाजी मंदिर में हनुमान जी को भोग स्वरूप बाजरे का चूरमा ही अर्पित कियाया जाता है।

सालासर में ही मंदिर क्यों बना:
भक्तों बालाजी अर्थात हनुमान जी की मूर्ति के प्रकट होने के बाद एक रात को असोटा के ठाकुर को बालाजी ने स्वप्नादेश देते हुये मूर्ति को सालासर ले जाने को कहा। वहीं दूसरी तरफ सपने में हनुमान जी महाराज ने अपने भक्त मोहनदास को से कहा कि जिस बैलगाड़ी से मूर्ति सालासर जाए, उसे कोई रोके नहीं। जहां बैलगाड़ी अपने आप रूक जाए, वहीं उनकी मूर्ति स्थापित कर दी जाए। सपने में मिले इन स्वपन आदेशों के कारण ही भगवान बालाजी की मूर्ति को सालासर धाम के वर्तमान स्थान पर स्थापित किया गया था।

सालासर बाला जी की दाढ़ी मूछे क्यों हैं?
भक्तों प्रायः मन में सवाल उठता है कि सालासर बालाजी अर्थात हनुमान जी के दाढ़ी मूछ क्यों हैं तो आपको बता दें हनुमान जी के दाढ़ी मूछों के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। कहा जाता है कि जब बालाजी अर्थात हनुमान जी पहली बार मोहनदास को दर्शन दिये थे तो दाढ़ी मूछों वाले भेष में थे, तब मोहनदास ने बालाजी को इसी रूप में प्रकट होने की प्रार्थना की थी। और बाला जी ने अपने परम भक्त मोहनदास जी प्रार्थना स्वीकार करते हुये दाढ़ी और मूछों के साथ प्रकट हुये और अब भी उसी स्वरूप में विराजमान हैं।

सालासर में मेला:
भक्तों सालासर धाम में हर साल चैत्र पूर्णिमा हनुमानजयंती और आश्विन पूर्णिमा पर भव्य मेले का आयोजन होता है, इन अवसरो पर लगभग 8 से 10 लाख हनुमान भक्तों और श्रद्धालुओं का महाकुंभ लगता है। इन दोनों मेलों के अलावा होली, दिवाली और विजयादशमी जैसे त्योहारों में श्रद्धालु बालाजी के दर्शन को यहाँ पहुँचते हैं। सालासर धाम में बालाजी के रूप में विराजमान पवनपुत्र हनुमान जी महाराज को बड़ा चमत्कारी माना जाता है।

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