Published On Jul 4, 2017
महारानी अहिल्याबाई इतिहास-प्रसिद्ध सूबेदार मल्हारराव होलकर के पुत्र खंडेराव की पत्नी थीं। जन्म इनका सन् 1725 में हुआ था और देहांत 13 अगस्त 1795 को; तिथि उस दिन भाद्रपद कृष्णा चतुर्दशी थी। अहिल्याबाई किसी बड़े भारी राज्य की रानी नहीं थीं। उनका कार्यक्षेत्र अपेक्षाकृत सीमित था। फिर भी उन्होंने जो कुछ किया, उससे आश्चर्य होता है।
महारानी अहिल्याबाई होलकर भारत के मालवा साम्राज्य की मराठा होलकर महारानी थी. अहिल्याबाई का जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर के छौंड़ी ग्राम में हुआ. उनके पिता मंकोजी राव शिंदे, अपने गाव के पाटिल थे. उस समय महिलाये स्कूल नही जाती थी, लेकिन अहिल्याबाई के पिता ने उन्हें लिखने -पढ़ने लायक पढ़ाया. अहिल्याबाई के पति खांडेराव होलकर 1754 के कुम्भेर युद्ध में शहीद हुए थे. 12 साल बाद उनके ससुर मल्हार राव होलकर की भी मृत्यु हो गयी. इसके एक साल बाद ही उन्हें मालवा साम्राज्य की महारानी का ताज पहनाया गया.
वह हमेशा से ही अपने साम्राज्य को मुस्लिम आक्रमणकारियो से बचाने की कोशिश करती रही. बल्कि युद्ध के दौरान वह खुद अपनी सेना में शामिल होकर युद्ध करती थी. उन्होंने तुकोजीराव होलकर को अपनी सेना के सेनापति के रूप में नियुक्त किया था. रानी अहिल्याबाई ने अपने साम्राज्य महेश्वर और इंदौर में काफी मंदिरो का निर्माण भी किया था.
इसके साथ ही उन्होंने लोगो के रहने के लिए बहोत सी धर्मशालाए भी बनवायी, ये सभी धर्मशालाए उन्होंने मुख्य तीर्थस्थान जैसे गुजरात के द्वारका, काशी विश्वनाथ, वाराणसी का गंगा घाट, उज्जैन, नाशिक, विष्णुपद मंदिर और बैजनाथ के आस-पास ही बनवायी. मुस्लिम आक्रमणकारियो के द्वारा तोड़े हुए मंदिरो को देखकर ही उन्होंने सोमनाथ में शिवजी का मंदिर बनवाया. जो आज भी हिन्दुओ द्वारा पूजा जाता है.