पूरी दुनिया से डायनें यहां आकर करती हैं देवताओं से युद्ध। history of dayna park
Mr Prashar Mr Prashar
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 Published On Aug 24, 2024

आखिर कौन जीते Devta or dayan ka युद्ध 2024 || Devta or Dayan ka yudh 2024 || ghoghradhar
पूरी दुनिया से डायनें यहां आकर करती हैं देवताओं से युद्ध। history of dayna park



dayan or devta ki ladai | यहाँ आती है छोटी बड़ी डगैली | Dayan Aur Devta Ke Yudh | Mr Prashar
Dayan Aur Devta Ke Yudh Ki Bhayanak Kahani | डायनों और देवता की डनवानस | Dayana Park Goghar Dhar
डायनों का अद्भुत काल्पनिक
घोघर धार में होता है हर वर्ष देवताऔ डायनो का युद्ध:डुगवांस-भादों की अमावस्या -
घोघर धार मे आत्माओं और देवताओं के बीच युद्ध

घोघर धार हिमाचल के मंडी जिले मे पधर तहसील के अंतर्गत आती है। जो कि मैंने सुना और देखा है इस दिन सब बुरी शक्तियों वाले लोग वहां इक्कठा होते हैं और बुरी आत्माओं का आवाह्न करते हैं। यह भी कहा जाता है कि इस दिन बुरी आत्माओं और देवताओं के बीच युद्ध होता है और उस युद्ध का सारा हाल आने वाले नवरात्रों में देवी-देवताओं के पुजारी या गुर बताते हैं। अगर इस युद्ध में देवताओं की जीत होती है तो सारा साल सुखमय रहता है और अगर बुरी शक्तियां जीत जाती हैं तो आने वाले साल में आपदा आतीं हैं।

पहले मुझे घोघर धार का पता नहीं था लेकिन उस डाक्युमेंटरी को देखने के बाद पता चला कि यह किसी जगह का नाम है। वैसे तो भादों माह में सब लोग घरों के बाहर दिया जला के रखते हैं लेकिन खासकर इस अमावस्या यानि डुंगवांस के दिन सब लोग दिया जरूर जलाते हैं। इस दिन सब लोग पटाखे फोड़ते हैं और यहाँ तक कि पुराने घड़े भी आंगन में जरूर फोड़ते हैं और जोर जोर से बोलते हैं-
चलिया वो डैणी डागियों अपणे हंडकुआं डिबकुंआं लेई कने घोघड़ा रिया धारा।

बड़े-बुजुर्गों से मैंने सुना है कि इस दिन वे सभी सूप यानि छज्ज षर बैठकर घोघर धार जाते हैं। यह भी कहा जाता है कि इस
दिन अगर चचड़, पिस्सू, पिथड़, जुंए आदि को जलाया जाए तो उन सबसे छुटकारा मिल जाता है। इस दिन हिमाचल के नीचले और ऊपरी दोनों क्षेत्रों में दहशत रहती है। देवी-देवता इन बुरी शक्तियों से युद्ध करके अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और खेलते हैं और अंगारों पर चलकर अपने भक्तों के ऊपर आने वाली आपदाओं को दूर करते हैं। इसके अलावा इस दिन के कुप्रभाव से बचने के लिए लोग पतरोड़े बनाते हैं और घरों में तिरमिरा और ग्वारपाठा(द्वारया) लटकाते हैं।डायनों की छाया से बचने के लिए डगवांस की शाम के समय घर व गौशाला के दरवाजों की चौखट के ऊपरी कोनों पर गाय के गोबर की छोटी-छोटी टिक्कियों के सहारे टिंबरे के पत्ते चिपकाकर उस पर अभिमंत्रित की गई सरसों चिपकाई जाती है।

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