आचार्य श्री ने धर्म चर्चा में कहा कि तीन त्रिलोकी के नाथ निरंजन, निराकार जगतपति के प्रति प्रेम रखें।
Shiv Soni Shiv Soni
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 Published On Aug 7, 2024

आचार्य श्री ने धर्म चर्चा में कहा कि तीन त्रिलोकी के नाथ निरंजन, निराकार जगतपति के प्रति प्रेम रखें। विश्वास व अनन्य भाव और प्रेम के बिना की गई प्रभु भक्ति,पूजा, साधना, आराधना व सार्थक नहीं रहती ।  विषय का विस्तार करते हुए बीकानेर के मुनि सम्यक रत्न सागर ने कहा कि हर काल व परिस्थिति में श्वासों श्वास में परमात्मा का उपकार मानते हुए उनका स्मरण करें। जड़ पदार्थों का राग हमें प्राणी मात्र के प्रति प्रेम से वंचित करता है। मन व हृदय को करुणा, दया व प्रेम से परिपूर्ण करते हुए प्राणी मात्र की रक्षा व सुरक्षा का संकल्प लें। जीवों की रक्षा का यह भाव रामबाण औषधि बन जाएगा। जगत के जीवों के प्रति प्रेम बिना, द्वेष व द्वंद से आत्म कल्याण नहीं हो सकता।

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