नाटक का जादू प्रधानाचार्य और शिक्षक का हृदय परिवर्तन
Jahan Smart Education Centre Jahan Smart Education Centre
585 subscribers
122 views
1

 Published On Aug 8, 2024

*कहानी: नाटक का जादू*

एक दफा की बात है कि एक छोटे से शहर में एक स्कूल था जहाँ का माहौल काफी तनाव भरा था। इस स्कूल में प्रिंसिपल शर्मा और टीचर्स के दरमियान हमेशा किसी ना किसी बात पर बहस और झगड़ा होता रहता था। प्रिंसिपल हमेशा गुस्से में रहते थे ।
बात बात पर चिल्लाते और डांटते रहते थे। स्टाफ सहमे और डरे रहते थे। सभी टीचर्स परेशान थे। स्कूल का माहौल इतना गर्म रहता था कि इसका असर स्टूडेंट्स की पढ़ाई पर भी पड़ने लगा था। टीचर्स के दिमाग़ पर ये माहौल इतना असर डाल रहा था कि स्टूडेंट्स की पढ़ाई पर भी बुरा असर हो रहा था। स्कूल के हर स्टूडेंट का चेहरा उदासी से भरा होता और सब अपने टीचर्स और प्रिंसिपल के रवैये से परेशान थे।

ऐसे ही तनाव भरे दिनों में, स्कूल में एक नया स्टूडेंट रोहन आया। रोहन एक खुशमिज़ाज और समझदार बच्चा था। उसने स्कूल के माहौल को देखकर बहुत परेशानी महसूस की। उसने देखा कि हर तरफ़ उदासी छाई हुई है और कोई भी स्कूल में खुश नज़र नहीं आता।

एक दिन रोहन ने अपने दोस्तों से कहा, "क्या तुम लोग भी स्कूल के इस तनाव भरे माहौल से तंग हो?" सब ने एक साथ जवाब दिया, "हाँ! हम सब बहुत परेशान हैं, लेकिन हम कुछ कर नहीं सकते।"

रोहन ने कुछ सोचा और फिर कहा, "हम कुछ कर सकते हैं। हम अपने टीचर्स और प्रिंसिपल को दिखाने के लिए एक नाटक कर सकते हैं, जिससे उन्हें अपनी गलतियों का एहसास हो।"

सब स्टूडेंट्स को रोहन का आइडिया अच्छा लगा। सब ने मिलकर एक नाटक तैयार किया। नाटक का नाम था *"एकता का जादू।"*

नाटक के लिए स्टूडेंट्स ने स्कूल के ऑडिटोरियम में तैयारी शुरू की। नाटक का आगाज़ इस तरह से हुआ कि एक स्कूल का सीन दिखाया गया, जहाँ एक प्रिंसिपल और टीचर्स के बीच में हमेशा लड़ाई होती रहती है। नाटक के किरदार स्टूडेंट्स खुद थे; एक बच्चा प्रिंसिपल का रोल अदा कर रहा था और कुछ दूसरे टीचर्स का।

नाटक में प्रिंसिपल और टीचर्स के दरमियान लड़ाई हो रही थी, और उनके बीच में तल्ख़ कलामी होती रहती थी। फिर स्टूडेंट्स को दिखाया गया जो अपनी पढ़ाई में मशगूल थे, मगर उनका भी ध्यान खत्म हो गया था क्योंकि उनके सिर के ऊपर हमेशा झगड़े के बादल मंडराते रहते थे।

नाटक के अगले हिस्से में एक "समझदार बच्चा" स्टेज पर आता है और प्रिंसिपल और टीचर्स के बीच में आकर उन्हें रोकने की कोशिश करता है। वो बच्चा कहता है, "अगर आप लोग इस तरह लड़ते रहेंगे, तो हम स्टूडेंट्स का क्या होगा? हमारे लिए आप सब एक मिसाल हैं, लेकिन अगर आप ही एक-दूसरे से लड़ते रहेंगे, तो हम क्या सीखेंगे?"

ये बात सुनकर नाटक में दिखाया गया प्रिंसिपल और टीचर्स होश में आ जाते हैं। उन्हें अपनी गलती का एहसास होता है और वो आपस में सुलह कर लेते हैं। नाटक का अंत इस बात पर होता है कि सब मिलकर काम करते हैं और स्कूल का माहौल फिर से खुशगवार हो जाता है।

जब ये नाटक खत्म हुआ, तो असली प्रिंसिपल शर्मा और उनके टीचर्स ने इस नाटक को देखा और उन्हें अपनी गलतियों का एहसास हुआ। उन्हें समझ आया कि उनके अपने झगड़े और तनाव का असर स्टूडेंट्स पर कितना बुरा पड़ रहा था। प्रिंसिपल शर्मा ने वहाँ सब टीचर्स के सामने खड़े होते हुए कहा, "मुझे ये नाटक देखकर अपनी गलती का एहसास हुआ है। हमें मिल-जुलकर काम करना चाहिए ताकि हमारा स्कूल वापस से खुशहाल और तरक़्क़ी याफ़्ता बन सके।"

इस नाटक ने स्कूल के माहौल में चमत्कारी तबदीली ला दी। प्रिंसिपल और टीचर्स ने मिलकर काम करना शुरू किया, और धीरे-धीरे स्कूल का माहौल फिर से खुशहाल हो गया। स्टूडेंट्स ने भी फिर से मन लगाकर पढ़ाई शुरू की और स्कूल के रिजल्ट्स बेहतरीन होने लगे।

ये कहानी सबको ये सबक देती है कि एकता और मिल-जुलकर काम करने से हर मुश्किल का हल निकल सकता है। और कभी-कभी छोटी सी बात या एक नाटक भी इंसानों को समझदारी का पैग़ाम दे सकता है।
#shortsvideo #motivation #love #viralvideo #very #samart #facts #namaz #نماز

show more

Share/Embed