Ashtadhyayi 1-1 | अष्टाध्यायीसूत्रपाठ: | प्रथमोऽध्याय: प्रथम: पाद:
वैदिक धर्मः - Vaidic Dharm वैदिक धर्मः - Vaidic Dharm
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 Published On May 15, 2021

अष्टाध्यायी (अष्टाध्यायी = आठ अध्यायों वाली) महर्षि पाणिनि द्वारा रचित संस्कृत व्याकरण का एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ है। इसमें आठ अध्याय हैं; प्रत्येक अध्याय में चार पाद हैं, इस प्रकार अष्टाध्यायी में आठ अध्याय, बत्तीस पाद और सब मिलाकर लगभग 4000 सूत्र हैं। अष्टाध्यायी छह वेदांगों में मुख्य माना जाता है। अष्टाध्यायी पर महामुनि कात्यायन का विस्तृत वार्तिक ग्रन्थ है और सूत्र तथा वार्तिकों पर भगवान पतंजलि का विशद विवरणात्मक ग्रन्थ महाभाष्य है। संक्षेप में सूत्र, वार्तिक एवं महाभाष्य तीनों सम्मिलित रूप में 'पाणिनीय व्याकरण' कहलाता है और सूत्रकार पाणिनि,वार्तिककार कात्यायन एवं भाष्यकार पतंजलि - तीनों व्याकरण के 'त्रिमुनि' कहलाते हैं। महाभाष्य में अष्टाध्यायी को "सर्ववेद-परिषद्-शास्त्र" कहा गया है। अर्थात् अष्टाध्यायी का संबंध किसी वेदविशेष तक सीमित न होकर सभी वैदिक संहिताओं से था |

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