जय गंगा मैया कथा | हरिणयकश्यप का वध | भाग -2
Tilak Tilak
33.9M subscribers
4,189,554 views
29K

 Published On Premiered Apr 14, 2022

   • बजरंग बाण | पाठ करै बजरंग बाण की हनुम...  
बजरंग बाण | पाठ करै बजरंग बाण की हनुमत रक्षा करै प्राण की | जय श्री हनुमान | तिलक प्रस्तुति 🙏

Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here -    • दर्शन दो भगवान | Darshan Do Bhagwaan ...  

Watch the Short story ''harinayakashyap ka vadh | bhaag -2'' now!

Watch all the Ramanand Sagar's Jai Ganga Maiya full episodes here - http://bit.ly/JaiGangaMaiya

Subscribe to Tilak for more devotional contents - https://bit.ly/SubscribeTilak

प्रलहाद विष्णु के नाम का जाप करता है तो हरिणयकश्यप को प्रलहाद पर और अधिक क्रोध आता है और उसे कारागार में डालने के लिए भेज देता है। प्रलहाद रात्रि में विष्णु नाम का जाप करता है जिसे सुन हरिणयकश्यप कारगर में जाता है और अपने सैनिकों को आदेश देता है की प्रलहाद को मार दो। सैनिक प्रलहाद पर तलवारों से वार करते हैं लेकिन प्रलहाद को कुछ नहीं होता। हरिणयकश्यप प्रलहाद को मारने के लिए क्याधु को विषैला भोजन खिलाने के लिए कहता है लेकिन क्याधु माना कर देती है। हरिणयकश्यप अल्हाद को आदेश देता है की उसे ऊँचे पर्वत से नीचे फेंक दे। अल्हाद अपन साथ प्रलहाद को पर्वत पर ले जाता है और उसे वह से फेंक देता है। प्रलहाद को बचाने के लिए विष्णु भगवान वह आ जाते है और प्रलहाद को बचा लेते हैं। हरिणयकश्यप ये सब सुन कर और क्रोधित हो जाता है। हरिणयकश्यप प्रलहाद को मारने के लिए अपनी तलवार निकलता है तो क्याधु बीच में आ जाती है। तभी वहाँ हरिणयकश्यप की बहन होलिका वहाँ आ जाती है और प्रलहाद को अपने साथ जलती चिता में बैठ कर उसके प्रण लेने के बात बताती है। होलिका को अग्नि से ना जलने का वरदान था। हरिणयकश्यप की बहन होलिका प्रलहाद को गोद में लेकर चिता पर बैठ जाती है और जैसे ही अग्नि जलती है होलकी हंसने लगती है लेकिन होलिका की हंसी कुछ ही देर में चीख़ों में बदल जाती है। प्रलहाद को विष्णु नाम का जाप करता रहता है और अग्नि से उसे कोई हानि नहीं होती। होलकी अपने साथ वरदान में धोखे की बात करती है तो गंगा मैया वहाँ प्रकट हो कर बताती है की यह वरदान तुम्हारी ग़लत नियत और प्रलहाद का अहित करने की वजह से समाप्त हो गया है। होलकी अग्नि में जलकर भस्म हो जाती है। क्याधु ये सब देखने से पहले ही बेहोश हो जाती है। प्रलहाद अपनी माता क्याधु के पास आता है क्याधु के होश में आते ही वह अपने पुत्र प्रलहाद को देख प्रसन्न हो जाती है। प्रलहाद अपनी माता को समझता है की आप मेरी चिंता ना करे विष्णु भगवान हमारे साथ हैं वो हमें कुछ भी नहीं होने देंगे। हरिणयकश्यप वहाँ आ जाता है और प्रलहाद को दंड देने के लिए ले जाने लगता है तो सुमुखी वहाँ आकर हरिणयकश्यप को कहती है की आप प्रलहाद को मुक्त कर दें और उसे अपने जीवन को जैसे जिन हाई जीने दे क्योंकि अभी तक जो भी हुआ है ऐसा होना असम्भव है। हरिणयकश्यप सुमुखी की बात नहीं मानता और प्रलहाद को नष्ट करने के लिए ले जाता है और विष्णु भगवान को चेतावनी देता है की प्रलहाद को बचा सकता है तो बचा ले। हरिणयकश्यप प्रलहाद को मारने से पहले कहता है की तुझे अपने प्रण बचाने है तो बुला अपने भगवान को। प्रलहाद कहता है की भगवान तो हमेशा मेरे पास हाई वो तो हर कण कण में समाए हैं। हरिणयकश्यप प्रलहाद से पूछता है की क्या तेरा भगवान इस स्तम्भ में भी है तो वह कहता है हैं पिताजी। हरिणयकश्यप उस स्तम्भ पर हमला करता है तो उस स्तम्भ के टूटने पर नरसिंह भगवान प्रकट हो जाते हैं। हरिणयकश्यप के सामने नरसिंह भगवान प्रकट हो जाते हैं। हरिणयकश्यप नरसिंह भगवान पर हमला करता है लेकिन नरसिंह भगवान उसके अस्त्र को फेंक देते हैं। हरिणयकश्यप अपनी जान बचाने के लिए भागता है लेकिन नरसिंह उसे पकड़ लेते हैं और उसे महल के बाहर के दरवाज़े की चौखट में अपनी गोद में लेटा लेते हैं। तभी आकाशवाणी होती है की हे हरिणयकश्यप तुम्हारी मृत्यु आज होने जा रही है तुम ना आकाश में हो ना पृथ्वी पर तुम नरसिंह भगवान की गोद में हो।ना अभी दिन है ना रात है अभी संध्या बेला है। ना ही तुम्हें नर मार रहा है ना ही कोई पशु तुम्हें नरसिंह भगवान मार रहे हैं। ना तुम अस्त्र से मार रहे हो ना ही शस्त्र से तुम्हें नरसिंह भगवान के नाखूनों से मारने जा रहे हो। नरसिंह भगवान अपने नाखूनों से हरिणयकश्यप को मार देते हैं। हरिणयकश्यप के मारने के बाद नरसिंह भगवान को शांत करने के लिए ब्रह्म जी महादेव और गंगा मैया सभी देवता प्रार्थना करते हैं। महादेव प्रलहाद को कहते हैं की तुम्हें नरसिंह भगवान को शांत करना होगा। प्रलहाद नरसिंह भगवान से प्रार्थना करता है की शांत हो जाए। नरसिंह भगवान शांत हो जाते हैं। प्रलहाद अपने पिता की मुक्ति की बात करता है की उन्हें भी मुक्ति प्रदान करे तो नरसिंह उसे कहते हैं की मेरे हाथों से मृत्यु होने की वजह से वह मुक्ति को प्राप्त हो चुके हैं और उनके सभी दोष नष्ट हो चुके हैं।

Ramanand Sagar presents - 'JAI GANGA MAIYA' based on the most revered and the only living goddess - GANGA. Residing in the Kamandal of LORD BRAHMA, BHAGWATI GANGA, like SARASWATI and LAXMI, is one of the seven SHAKTIS of supreme GODDESS MAHAMAYA ADISHAKTI. The story goes far back when Kapil Muni curses King Sagar's sixty thousand and one sons and reduces them to ashes. On repeated requests by the sole son of King Sagar, Kapil Muni finally changes his mind and says that King Sagar's sons would attain MUKTI only if their ashes are cleansed by the holy water of GODDESS GANGA. Generation after generation apologize to pacify BRAHMA but without success - and finally after music praying by BHAGIRATH - the seventh generation of King Sagar, GANGA reluctantly consents to descend to earth.

show more

Share/Embed