Published On May 23, 2022
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किडनी प्रत्यारोपण के बाद रिजेक्शन की संभावना को कम करने के लिए किस प्रकार की दवाइँ उपयोगी होती है?
शरीर की प्रतिरोधकशक्ति के कारण नई लगाई गई किडनी के अस्वीकार (रिजेक्शन) होने की संभावना रहती है।अगर दवा सेवन से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति को कम किया हाता है, तो रिजेक्शन का भय नहीं रहता है, परन्तु मरीज को जानलेवा संक्रमण का भय बना रहता है।
किडनी प्रत्यारोपण के बाद विशेष प्रकार की दवाइँ का इस्तेमाल होता है, जो किडनी रिजेक्शन को रोकने का मुख्य काम करती है एवं मरीज की रोग से लड़ने की क्षमता बनाए रखती है (Selective Immuno Suppression)।
इस प्रकार की दवा को इम्यूनोसप्रेसेन्ट (Immunosuppresant) कहा जाता है। प्रेडनिसोलोन, एजाथायोप्रीन, सायक्लोस्प्रोरिन, एम. एम. एफ. और टेक्रोलिमस इस प्रकार की मुख्य दवाईयाँ हैं।
किडनी प्रत्यारोपण के बाद इम्यूनोसप्रेसेन्ट दवा कब तक लेनी जरुरी होती है?
बहुत ही महँगी यह दवाईयाँ किडनी प्रत्यारोपण के बाद मरीज को सदा के लिए-आजीवन लेनी पडती है। शुरू में दवाइँ की मात्रा (और खर्च भी) ज्यादा लगती है, जो समय के साथ धीरे-धीरे कम होती जाती है।
किडनी प्रत्यारोपण के बाद अन्य कोई दवा लेने की जरूरत पडती है?
हाँ, जरूरत के अनुसार किडनी प्रत्यारोपण करने के बाद मरीजों द्वारा ली जानेवाली दवाईयों में उच्च रक्तचाप की दवा, कैल्शियम, विटामिन्स
रिजेक्शन रोकने के लिए किडनी प्रत्यारोपण कराने के बाद आजीवन दवा लेना आवश्यक है।
इत्यादि दवाईयाँ हैं। अन्य कोई बीमारी के लिए यदि दवा की जरूरत पड़े, तो नये डॉक्टर से दवा लेने से पहले उसे यह बताना जरुरी होता है की मरीज का किडनी प्रत्यारोपण हुआ है और हाल में वह कौन कौन सी दवाइँ ले रहा है।