Published On Jul 9, 2024
भूमी स्तोत्र
नारायण कृत श्रीमद् देवी भागवत नवम स्कंद अध्याय ९
यह स्तोत्र श्रीमद देवी भागवत के अंतर्गत नवम स्कंद मे नवम अध्याय मे आता है,
नारायण उवाच - जल की आधार स्वरूपिणी जलमय तथा सबको जल प्रदान करणे वाली यज्ञ वराहकी पत्नी तथा विजय की प्राप्ति करने वाली हे भगवती आपकी जय जयकार आप मुझे विजय प्रदान कीजिए, मंगल करने वाली मंगल की आश्रय स्वरूपिणी मंगलमय तथा मंगल प्रदान करने वाली हे मंगलेश्वरी हे भवे मेरे मंगल के लिये आप मुझे मंगल प्रदान कीजिए,
फलश्रुती - जो मनुष्य प्रातःकाल उठकर इस महान पुण्यप्रद स्तोत्र का पाठ करता है वह करोडो जन्मोतक बलवान तथा राजाओं का अदिश्वर होता है l इसके पाठ से मनुष्य भूमिदान करने से होने वाला पुण्य प्राप्त कर सकता है l इस स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य दान मे दि गई भूमि का हरण करने, भूमी संबंधी कार्य करने, बिना आज्ञा के दुसरे के कुवे मे कूप खनन करने, दुसरे की भूमिका हरण करने, पृथ्वी पर पाप करने,तथा भूमी पर दीपक आदी रखने से होने वाले पाप से निश्चित रूप से मुक्त हो जाता है l और साथ ही वह एक सौ अश्वमेध यज्ञ करने से होने वाला पुण्य भी प्राप्त कर सकता है l इसमे कोई संदेह नही भूमी देवी का स्तोत्र महान है सभी प्रकार का कल्याण करने वाला है l
वेदमूर्ती मंदार खळदकर गुरुजी
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