Published On Apr 9, 2023
्रीमद्वल्लभपादपद्मकृपया श्रीसूरदासोदितं
पद्यं यत्र सुबोधिनीसुविवृतेर्दिव्याशयो राजते l
ख्यातं नन्द महोत्सवे - "व्रज भयो" - तद्वर्णनायाડડश्रये
स्वाचार्यानहमाशु "वल्लभ"जन: स्वान्त: सुखायास्त्विदम् ।।
"व्रज भयो महरिके पूत" इस जन्माष्टमी की मुख्य बधाई के कीर्तन का विवरण आपश्री षष्ठपीठाधीश्वर गो. श्रीवल्लभरायजी महाराजश्री ने अपने श्रीमुख से किया है। इस अति दिव्य एवं अलौकिक विवरण को प्रकट करने की आज्ञा आपश्री ने मात्र
हम वल्लभीय वैष्णवों पर अनुग्रह करने के लिए की है। हम आपके इस अनुग्रह का ऋण कभी नही चुका सकते।
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