Shri Yamunaji 41 Pad 9-12 , શ્રી યમુનાજી ના 41 પદ 9-12, श्री यमुनाजी के ४१ पद 9-12 ,
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 Published On Premiered Dec 22, 2022

Shri Yamunaji 41 Pad 9-12, - શ્રી યમુનાજી ના 41 પદ, - पुष्टिमार्ग कीर्तन,Haveli Sangeet, Kirtans, Bhajans, Shotras, Mantras, Pushtimarg Kirtan, Ashtachap, Bhagwati Prasad Ghandarva, Pushtimarg, Pushtimargiye Sangeet, SUR SAGAR, KIRTANKAR: Pt. BHAGWATI PRASAD
Kirtans by: Bhagwati Prasad

00:00 पद 9 - धाय के जाय जो श्रीयमुना तीरे
05:39 पद 10 - जा मुखते श्रीयमुने यह नाम आवै
11:29 पद 11 - धन्य श्रीयमुने निधी देनहारी
18:06 पद 12 - गुण अपार मुख एक कहांलोंजु कहिये

पद संख्या 9
धाय के जाय जो श्री यमुना तीरे, ताकि महिमा अब कहां लग बरनिये;
जाय परसत अंग प्रेम-नीरे.
निशदिना केली करत मनमोहन, पिया संग भक्तन कि हे जु भीरे;
'छितस्वामी'गिरिधरन श्री विट्ठल, इन बिना नेक नही धरत धीरे.

पद संख्या 10
जा मुखते श्री यमुने यह नाम आवे, ता पर कृपा करे श्री वल्लभ प्रभु;
सोई श्री यमुनाजी को भेद पावे.
तन, मन, धन सब लाल गिरिधरनको देके चरण जब चित्त लावे;
'छितस्वामी'गिरिधरन श्री विट्ठल नैनन प्रगट लीला दिखावे.

पद संख्या 11
धन्य श्री यमुने निधि देनहारी करत गुणगान, अग्यान -अघ दूर करी;
जाय मिलवत पिय प्राण प्यारी.
जिन कोउ संदेह करो बात चित्तमे धरो पुष्टि पथ अनुसरो सुख जु कारी;
प्रेम के पुंज मे रास रस कुंजमे ताही राखत रस रंग भारी.
श्री यमुने अरु प्राणपति, प्राण अरु प्राण सुत, चहु जन जीव पर दया विचारी.
'छितस्वामी'गिरिधरन श्री विट्ठल, प्रीत के लिये अब संग धारी.

पद संख्या 12
गुण अपार मुख एक, कहालों कहिये, तजो साधन भजो श्री यमुनाजीको;
लाल गिरिधरनवर तबही पैये.
परम पुनित प्रीतकि रीत सब जानके, द्रढ करी चरण कमल जु ग्रहीये;
'छितस्वामी'गिरिधरन श्री विट्ठल, ऐसी निधि छान्ड अब कहां जु जैये.

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