Published On Premiered Sep 10, 2024
मद्महेश्वर का खुबसूरत ट्रैक | Madmaheshwar Trek| Madhyamaheshwar Temple| Madmaheshwar yatra 2024
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मदमहेश्वर मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में चौखम्बा पर्वत की तलहटी पर स्थित है. जहां पर जाने के लिए ऊखीमठ से कालीमठ और फिर वहां से मनसुना गाँव होते हुए 26 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है.
उत्तराखंड के पंचकेदार में भगवान शिव के पांच अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. भोले के भक्त केदारनाथ में बैलरूपी शिव के कूबड़ की, तुंगनाथ में भुजाओं की, रुद्रनाथ में मस्तक की, मदमहेश्वर में नाभि की और कल्पेश्वर में जटाओं की पूजा करके पुण्यफल प्राप्त करते हैं.
हिंदू मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति मदमहेश्वर मंदिर में जाकर भगवान शिव की नाभि का दर्शन और पूजन करता है, उस पर महादेव की असीम कृपा बरसती है, जिसके पुण्य प्रभाव से वह सुखी जीवन जीता हुआ अंत में शिवलोक को प्राप्त करता है.
हिंदू मान्यता के अनुसार प्रकृति की गोद में बसे इसी मंदिर कभी महादेव और माता पार्वती ने रात्रि बिताई थी. मदमहेश्वर मंदिर में भगवान शिव की पूजा के लिए दक्षिण भारत के लिंगायत ब्राह्मण पुजारी के रूप में नियुक्त होते हैं.
मदमहेश्वर मंदिर के साथ इस पावन धाम के निकट स्थित बूढ़ा मदमहेश्वर मंदिर, लिंगम मदमहेश्वर, अर्धनारीश्वर व भीम के मंदिर की पूजा और दर्शन का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है.
भगवान शिव का यह मंदिर काफी ऊंचाई पर है, जहां जानें के लिए कई किलोमीटर का पैदल रास्ता तय करना पड़ता है. मदमहेश्वर का मंदिर सर्दियों में नवंबर से अप्रैल माह तक बंद रहता है.
मध्यमहेश्वर मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय मई से जून के बीच रहता है क्येांकि इस दौरान यहां का मौसम सुहावना होता है और आप यहां की यात्रा करते हुए प्रकृति का पूरा आनंद ले सकते हैं.