चारण में देखण चाहता
www.charans.org www.charans.org
11K subscribers
29,994 views
546

 Published On Mar 8, 2018

स्व. भंवरदान जी कविराज (ठि. झणकली) द्वारा रचित इस गीत में कवि द्वारा देवी को अरदास की गयी है कि उनके जीवन काल को कुछ और मोहलत दी जावे ताकि वे प्रत्येक गाँव के चारण बंधुओ को देख सकें। कवि इसके बदले मोक्ष को भी अस्वीकार करते हैं, स्वयं कवि के शब्दों में:

सरग कैलाश वैकुण्ठ नी मांगू, मुक्ति रो नही शोक।
लाज मरजाद बोल अमोलख जेथ बसे कवलोक।।
महिपर मोलत दीजो माता में चारण देखण चाहता।।

जितनी अमर रचना है उतना ही अमर स्वर इसको दिया है अहमद खान मिरासी ने।
*******************
www.charans.org
#Charans #charans_org #चारण

show more

Share/Embed