लालघाटी का सुप्रसिद्ध तथा प्राचीन, गुफा मंदिर | भोपाल मध्य प्रदेश | 4K | दर्शन 🙏
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 Published On May 2, 2023

श्रेय:
लेखक: याचना अवस्थी

भक्तों नमस्कार ।आप सभी का हमारे लोकप्रिय यात्रा कार्यक्रम दर्शन में हार्दिक अभिनन्दन..हमारे इस कार्यक्रम श्रंखला में हमेशा की तरह आज हम आपको जिस मंदिर की यात्रा पर ले जा रहे हैं उस मंदिर के मुख्य देवता बाकी मंदिरों की तरह विशाल प्रांगण में नहीं अपितु एक गुफा में विराजते हैं..आज हम आपको दर्शन करवाने जा रहे हैं..भोपाल स्थित “गुफा मंदिर” की...

मंदिर के बारे में:
भक्तों, भगवान् भोलेनाथ को समर्पित गुफा मंदिर मध्य प्रदेश के भोपाल शहर में लालघाटी स्थित एक सुप्रसिद्ध प्राचीन स्थल है जो एक पहाड़ी पर स्थित है...ये मंदिर भोपाल के प्रमुख पर्यटन स्थलों के शीर्ष में सम्मिलित है ये मंदिर बाकी मंदिरों की तरह विशाल परिसर में नहीं अपितु यह मंदिर और मंदिर आश्रम परिसर सात प्राकृतिक गुफाओं से घिरा होने के कारण इस मंदिर का नाम गुफा मंदिर पड़ा। इन सात गुफाओं में से एक गुफा में स्वयंभू शिव जी की पिंडी है और बाकी गुफाओं में संस्कृत के विद्यार्थी रह रहे हैं...वर्षों से लोगों की आस्था का केंद्र बना यह मंदिर दूर दूर से श्रधालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता आ रहा है...मंदिर के समीप ही स्थित भोग प्रसाद व पूजा सामग्री की दुकानों से भक्त प्रासाद लेकर मंदिर की और जाने वाली ऊँची सीढ़ियों को चढ़कर मंदिर में प्रवेश करते हैं... और एक दिव्य आत्मानुभूति का अनुभव करते हैं.

मंदिर का इतिहास:
अगर इस मंदिर के इतिहास की बात करें तो उपलब्ध तथ्यों के आधार पर कहते हैं इस मंदिर की खोज सन 1949 में श्री महंत नारायणदास जी त्यागी द्वारा की गई थी तथा इसका पुनर्निर्माण कार्य 2 अप्रैल 1965 को नारायणदास जी त्यागी द्वारा किया गया था। कहते हैं जब नारायण दास जी ने इस गुफा की खोज की उस वक़्त यहाँ आस पास घना जंगल और सिर्फ दो गाँव थे.. जब आस पास के लोगों को स्वामी जी के इस गुफा में अध्यात्मिक तपस्या का पता चला तो वे उनसे मिलने आये...उसके बाद यहाँ विराजित स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन कर उन लोगों ने स्वामी नारायणदास जी से यहाँ एक मंदिर निर्माण की इच्छा जताई और फिर इस तरह से इस गुफा मंदिर की नीव रखी गयी.

मंदिर का गर्भग्रह:
गुफा मंदिर में पहाड़ के नीचे अंदर की ओर प्राक्रतिक रूप से गुफा निर्मित गर्भग्रह में भगवान् भोलेनाथ स्वयंभू पिंडी रूप में विराजमान हैं भोलनाथ के साथ उनका परिवार भी अर्थात माता पार्वती, पुत्र गणेश जी एवं कार्तिकेय जी तथा शिव जी के साथ उनके प्रिय नंदी जी की प्रतिमा भी विराजित है..श्रद्धालु वहीँ बैठकर भगवान् भोलेनाथ का दर्शन पूजन कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ती की भगवान् से प्रार्थना करते हैं..तथा उसका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं... कहते हैं यह गुफा पूर्णतः प्राक्रतिक है जब महंत नारायणदास जी द्वारा इसकी ख़ोज की गयी तो इसमें दायें, बायें व ऊपर की ओर सिर्फ तीन ही द्वार थे इसके बाद सामने से पहाड़ को काटकर इसका प्रवेश द्वार बनाया गया था..

मंदिर परिसर:
यह मंदिर बाहर से दिखने में एक मिनार की भांति तीन खंड ऊंचा शिखर शैली में दिखाई देता है जो अलग अलग रंगों से की गयी सुंदर कलाकृतियों की वजह से बहुत ही आकर्षक प्रतीत होता है किन्तु यह मंदिर अंदर से सिर्फ एक ही खंड अर्थात प्रथम खंड में ही निर्मित है... सीढियां ख़त्म होते ही गुफा निर्मित गर्भग्रह की ओर जाने वाला मंदिर का मुख्य द्वार है... गर्भग्रह की गुफा के अतिरिक्त यहाँ एक और प्राचीन गुफा है जहाँ शिवलिंग विराजित है... कहते हैं यह गुफा साल भर जल से भरी रहती है... इसलिए भक्तों को कभी बाहर से या कभी पानी में उतरकर भोलेनाथ के दर्शन को आगे बढना होता है... गुफा के बाहर लक्ष्मीनारायण जी की एक सुंदर प्रतिमा है, जिसमें विष्णु भगवान अपने वैकुंठ निवास में माता लक्ष्मी के साथ विराजमान हैं..मुख्य गुफा में प्रवेश से पहले बाईं ओर भगवान सीताराम का एक बहुत ही सुंदर मंदिर है... जिसमे पूरा राम दरबार सुशोभित होता है...परिसर में भगवान् श्री राम के परम भक्त हनुमान जी का भी मंदिर है... जिसमे बजरंगबली विशाल प्रतिमा सश्रंगार विराजित है... इस मंदिर के अतिरिक्त यहाँ हनुमान जी का एक और मंदिर है.जिसमे उनकी प्रतिमा थोड़ी छोटी है इसमें आदिवासी मूर्तीकला की झलक है... यहाँ हनुमान जी सिर्फ मुख रूप में ही विराजमान हैं. एवं पूरे मंदिर की दीवारों पर जय श्री राम के जयघोष का चित्रण हैं...
मंदिर परिसर में माँ भगवती को समर्पित दुर्गा माता का अष्टभुजा रूप भी विराजमान है जिनका रूप एवं श्रृंगार देख हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है. इन सभी के साथ पत्नी रिद्धि एवं सिद्ध संग गौरीशंकर पुत्र गणेश जी का मंदिर भी शोभायमान है... तीनो प्रतिमाये इतनी आकर्षक प्रतीत होती हैं की दर्शन करने आये श्रद्धालु अपनी दृष्टि हटा नहीं पाते. भक्त भगवान् गणेश से शुभत्व तथा सकारात्मक ध्यान एवं धारणा प्रदान करने की कामना करते हैं. मंदिर की दीवारों पर श्री राधाकृष्ण, हनुमान जी एवं गणेश जी की सुंदर छवियाँ चित्रित की गयीं हैं. मंदिर परिसर में एक जलकुंड भी है जिसका जल स्पर्श कर श्रद्धालु स्वय को पवित्र करते हैं.. परिसर में शाम के वक़्त पुजारियों द्वारा होने वाला मंत्र जाप अति कर्णप्रिय होता है..परिसर में श्रधालुओं के बैठने की भी उत्तम व्यवस्था है... जहाँ थोडा समय व्यतीत करने पर एक असीम शान्ति का एवं शीतलता का अनुभव होता है.प

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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