Published On Dec 13, 2023
Uttarakhand के रवाईं क्षेत्र में एक ऐसा मंदिर है जिसमें किसी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं है. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर के पुजारी तक इसमें प्रवेश नहीं कर सकते. कई दशकों में एक-आध बार जब मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए प्रवेश अनिवार्य हो जाता है, सिर्फ़ तभी मंदिर के पुजारी मंदिर में दाखिल होते हैं और जीर्णोद्धार का काम निपटा कर लौट आते हैं. आख़िरी बार साल 1998 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ और तभी मंदिर के पुजारी इसमें दाखिल हुए थे. यानी बीते 25 सालों से कोई भी व्यक्ति इस मंदिर के अंदर नहीं गया है. इस मंदिर के गर्भ गृह में दिव्य शक्ति किस रूप में विराजमान है, यह आज भी एक रहस्य ही है. मड़केश्वर महादेव नाम के इस मंदिर में हर साल एक मौक़ा ऐसा ज़रूर आता है जब मंदिर के बाहर पूरी धाम-धाम से हवन-पूजन होता है. रवाईं घाटी का सबसे बड़ा त्योहार ‘देवलांग’, इस हवन के बिना पूरा नहीं होता. देवलांग उत्सव क्या है, ये कहाँ, कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है और इसमें मड़केश्वर महादेव के रहस्यमयी मंदिर की क्या भूमिका है, इन तमाम बातों के बारे में आज आपको विस्तार से बताते हैं.
संदर्भ :
रवांई के देवालय एवं देवगाथाऐं - दिनेश रावत.
श्रीरघुनाथ चरित्रावली- श्री महिशरण सेमवाल.
Devlang | Madkeshwar Mahadev | Rawain Ghati
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