||जाहरवीर गोगा जी जन्म कथा भाग -2 गायक कलाकार करनाराम जी मकवाना एण्ड पार्टी ||
Nisha  Film Studio Seelwa Nokha Nisha Film Studio Seelwa Nokha
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 Published On Oct 7, 2024

हम राजस्थान के ददरेवा की कथा सुनते हैं,
जाहरवीर
के जीवन का परिचय करवाते हैं, हम आपकी
कथा सुनते हैं,
आज हम गोगा मेडी धाम के दर्शन कराते हैं,
गोरख नाथ ने कैसे दिया है, इसकी शोभा बढ़ाते हैं,
हम कथा सुनते हैं,
जय जय जाहरवीर, जय जय गोगा पीर
जय जय गोगा पीर जय जय जय जाहरवीर

चूरू जिला ददरेवा में साउदी प्रांत राजस्थान में
बाछल देवी मां के पिता आभूषण सिंह चौहान
केलमती की पत्नी थीं, दादा उमर सिंह चौहान
गोरख नाथ गुरु थे, ज्ञानवान गुणवान
गोगा मेड़ी द्वीप बने हैं जहां पर धाम
फैला हुआ है सारी दुनिया में जाहरवीर का नाम
दुखांत है भगवान भोलेनाथ गोगापीर को
बड़े कृपालू बाबा जाहरवीर
के जन्म के समय गोगा का वो कहते हैं
जाहरवीर के जीवन का परिचय करवाते हैं
जय जय जाहरवीर जय जय गोगा पीर
जय जय गोगा पीर जय जय जय जाहरवीर

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राजस्थान के चूरू जिले में ददरेवा नामक स्थान है जहां चौहान वंश के राजा उमर सिंह चौहान थे राजा उमर सिंह चौहान के दो पुत्र थे एक का नाम राज सिंह दूसरे का घेवर सिंह था उन दोनों के मित्र का विवाह सरसा पट्टन की राज कुमारियों से हुआ था था, दोनों राणियों को संतान का सुख नहीं मिला तो वो सभी चिंता में डूब गए

पूजा पाठ दान सामुहिक पूजा साधु संत एकसत संत
बिना हृदय में पीड़ा बसी अनंत
मंदिर जा फूलते मिल जाए संत
व्रत धारण और कथा बंचते वेद पुराण
सुन किसी के मुख से वे गुरु हैं गोरखनाथ
करते हैं दुखियों के ऊपर दया की आवाज
उनकी दीया शोभा कभी भी खाली नहीं जाती
जो भी मांगो अपने भक्तों को सब मिल जाते हैं
गोरखनाथ सभी के ऊपर दया लुटाते हैं
जाहरवीर के जीवन का दर्शन करवाते हैं
हम कथा सुनते हैं
जय जय जाहरवीर जय
जय गोगा पीर जय जय गोगा पीर जय जय जय जाहरवीर

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दोनों रानिया बाछल देवी और काछल देवी गुरु गोरखनाथ की पूजा करते हैं महल के अंदर ही उनकी पूजा की जाती है व्रत उपवास रखती है अन्नदान वस्त्र दान और ब्राह्मणो को आदि भोजन कराती है कई महिनो तक यही क्रम रहता है फिर एक दिन काछल बा देवीछल देवी बिना बताये गुरु गोरखनाथ के दर्शन किये गये हैं


काछल रानी अपने मन में लेकर एक विचार
चली अकेली काछल रानी गोरखनाथ के द्वार
गोरखनाथ के चरण में गिर गया आशीर्वाद
पुत्र प्राप्ति का वर मुझको दे दो गोरखनाथ
विपदा की मारी हूं बाबा दे दो एक संत
बिना संत मिले ना बाबा मुझे सम्मान दें
गोरखनाथ हैं बड़े दयालु सनकी ने अपनी बात पुत्र रत्न की
मूर्ति का दिया आशीर्वाद जाहरवीर के जीवन का परिचय करवाते हैं जय जय जय जाहरवीर जय जय गोगा पीर जय जय गोगा पीर जय जय जय जाहरवीर




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काछल बाबा गोरखनाथ से पुत्र रत्न की शोभा लेकर राज महल में आ जाती है,नौ माह के बाद काछल रानी से दो पुत्रो को जन्म दिया उन दोनों पुत्रो के नाम अर्जुन सर्जन रखा है अब बाछल रानी चिंता में डूबी हुई है की मेरी छोटी बहन को दो दो पुत्रों की प्राप्ति हो गई और मैं बाँझ की बाँझ ही रही जब की बाबा गोरखनाथ जी की भक्ति पूजा अर्चना हम दोनों ने बराबर की थाह बाछल भी गोरख नाथ के शरण में जाती है

बाछल रानी है जब गोरखनाथ के पास
चेहरा डूबा था, उनकी वो थी बड़ी नीरस
स्टेज में गिर के फूल बहाये रोरो करे पुकार
मेरी किस्मत मेरी फूटी है बाबा रूठे हैं भगवान
गोरखनाथ जी ने कहा दे भुगतान किया है पुष्पा
काछल ने शोभा के रूप में थी एकमात्र संतान
बाछल बोली हाथ जोड़ के दया करो के हे नाथ
पुत्र प्राप्ति का भी दे दो आशीर्वाद
बाछल की आँखों से फूल जाते हैं
जाहरवीर के जीवन का परिचय करवाते हैं
हम कथा सुनाते हैं
जय जय जाहर जयवीर जयगा गो पीर
जय जय गोगा पीर जय जय जय जाहरवीर


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गुरु गोरखनाथ जी जो बाछल के ऊपर दया करके आते हैं वो बाछल को एक दिव्य पुत्र रत्न का आभूषण देते हैं बाछल उनके आशीर्वाद लेकर महल में आ जाते हैं कुछ जाहरवीर जी का जन्म होता है ठीक उसी दिन एक ब्राह्मण के घर में नर सिंह पांडे का जन्म हुआ था ऐसा होता है और एक बामिल्की के घर में रत्नाजी बाल्मीकि का जन्म हुआ और एक हरिण के घर भज्जू कोतवाल का जन्म हुआ जो बड़े गोगा पीर जी के परम मित्र थे जो साथ-साथ रहते थे और साथ ही साथ रहते थे

जाति धर्म का भेद नहीं है गोगा के दरबार में
हर मजहब के लोग पा रहे हैं गोगा जी के प्रिय
मुस्लिम गोगा पीर कहे जाने वाले हिंदू जाहरवीर
हिंदू मुस्लिम कोई हो हरते नहीं हैं संप्रदाय पीर
गोरख नाथ के शिष्य हैं गोगा गुग्गा भी हैं नाम
कई नमो से जाना जाएगा गोगा जी का धाम
जाहरवीर के दर पर जो भी दुखिया आता है,
यहां मांद मांगता है, यहां से लेकर जाता है, वह वास्तविक दृश्य
दिखाता है, जो हंसते हुए जाता है,
हाथ जोड़कर सुखदेव द्वार पर शीश झुकाता है,
हम कथा सुनते हैं,
जय जय, जय जाहरवीर, जय गोगा पीर,
जय जय गोगा पीर जय जय जय जाहरवीर

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