लगभग 81 साल की अवस्था में हमारी मां लीलावती देवी ने महाप्रयाण किया है। उनका पार्थिव शरीर काशी हिंदू विश्वविद्यालय चिकित्सा विज्ञान को समर्पित कर दिया जाएगा जिससे मेडिकल के बच्चे पढ़ाई कर सुयोग्य डॉक्टर बनेंगे।