Published On Mar 18, 2022
||बहुत ही दर्द भरा||
||बन्नी गीत||
||सच बात पूछती हूं बताओ ना बाबू जी छुपाओ ना बाबू जी क्या याद मेरी आती नहीं पैदा हुई घर में मेरे मातम छाया था पापा तेरे खुश थे मुझे मां ने बताया था ले ले के नाम प्यार जताते भी मुझे थे आते थे कहीं से तो बुलाते मुझे थे मैं हूं नहीं तो किसको बुलाते हो बाबूजी क्या याद मेरी आती नहीं हर ज़िद मेरी पूरी हुई हर बात मानते बेटी थी मगर बेटों से ज्यादा थे जानते घर में कभी होली कभी दीपावली आई सैंडल मेरी आई फ्रॉक भी मेरी आई अपने लिए बंडी भी ना लाते थे बाबूजी क्या कमाते थे बाबूजी क्या याद मेरी आती है सारी उम्र खर्चे में कमाई में लगा दी दादी बीमार थी तो दवाई में लगा दी पढ़ने लगे हम सब तो पढ़ाई में लगा दी बाकी बचा वह मेरी सगाई में लगा दी अब किसके लिए इतना कम आते हो बाबूजी बचाते हो बाबूजी क्या याद मेरी आती नहीं कहते थे मेरा मन कहीं एक पल न लगेगा बिटिया विदा हुई तो घर ये घर न लगेगा कपड़े कभी गहने कभी सामान सजोते तैयारियां भी करते थे छुप छुप के थे रोते कर कर के याद अब तो ना रोते हो बाबूजी क्या याद मेरी आती नहीं कैसी परंपरा है यह कैसा विधान है पापा बताना कौन सा मेरा जहान है आधा यहां आधा वहां जीवन है अधूरा पीहर मेरा पूरा हैं ना ससुराल है पूरा क्या आप कभी प्यार अधूरा है बाबूजी-2 ना पूरा है बाबूजी क्या याद मेरी आती नहीं सच बात पूछती हूं बताओ ना बाबू जी छुपाओ ना बाबू जी क्या याद मेरी आती नहीं||
By Digital lokgeet
||🙏🙏 जय शनि देव 🙏🙏||
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