गुरु, आचार्य, पुरोहित,पुजारी,पंडित व ब्राह्मण में फर्क
Sadda Multan Saddi Pehchan Sadda Multan Saddi Pehchan
336 subscribers
226 views
7

 Published On Sep 23, 2023

अक्सर लोग पुजारी को पंडित जी या पुरोहित को आचार्य या गुरू भी कह देते हैं और सुनने वाले भी उन्हें सही ज्ञान नहीं दे पाते हैं। यह विशेष पदों के नाम हैं जिनका किसी जाति विशेष से कोई संबंध नहीं.

गुरु
गु का अर्थ अंधकार और रु का अर्थ प्रकाश, अर्थात जो व्यक्ति आपको अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए वह गुरु होता है। गुरु का अर्थ अंधकार का नाश करने वाला। प्रत्येक गुरु संत होते तो हैं लेकिन प्रत्येक संत गुरु हो ये जरूरी नहीं, केवल कुछ संतों में ही गुरु बनने की पात्रता होती है। गुरु का अर्थ ब्रह्म ज्ञान का मार्गदर्शक।

आचार्य
आचार्य उसे कहते हैं जिसे वेदों और शास्त्रों का ज्ञान हो और जो गुरुकुल में विद्यार्थियों को शिक्षा देने का कार्य करता हो। आचार्य का अर्थ यह कि जो आचार, नियमों और सिद्धातों आदि का अच्छा ज्ञाता हो और दूसरों को उसकी शिक्षा देता हो।

पुरोहित
पुरोहित दो शब्दों से बना है 'पर' तथा 'हित', अर्थात ऐसा व्यक्ति जो दुसरो के कल्याण की चिंता करे। प्राचीन काल में आश्रम प्रमुख को पुरोहित कहते थे जहां शिक्षा दी जाती थी। हालांकि यज्ञ कर्म करने वाले मुख्य व्यक्ति को भी पुरोहित कहा जाता था। प्रचीनकाल में किसी राजघराने से भी पुरोहित संबंधित होते थे। राज दरबार में पुरोहित नियुक्त होते थे, जो धर्म-कर्म का कार्य देखते थे तथा सलाहकार समीति में शामिल रहते थे।

पुजारी
पूजा +अरि यहां अरि का अर्थ शत्रु अथवा दुश्मन है। कई लोगों ने पुजारी नाम के अर्थ का अनर्थ कर दिया है। प्राचीन काल में पुजारी द्वारा दीपक प्रज्वलित कर प्रस्तरवान मूर्ति के सामने ऊपर से नीचे सात बार ले जाकर किसी मूर्ख अंधभक्त, मूर्तिपूजक को सिखाया जाने वाला पाठ है। वह इस अज्ञानी को यह करते हुए अपनी मौन भाषा में ही संकेत देता है कि, ध्यान से देखो यह पाषाण से बनी एक मूर्ति है । ईश्वर तो कण कण में है, इस मूर्ति में भी लेकिन यह मूर्ति ईश्वर नहीं और भक्त हाथ जोड़कर पुजारी की बात का समर्थन कर रहा है। पुजारी ने सभी अंधविश्वासियों को यही समझाने का प्रयास किया है लेकिन दुर्भाग्य है कि अर्थ का अनर्थ कर कुछ और ही क्रियान्वयन होने लगा है।

पंडित
पंडित का अर्थ होता है किसी ज्ञान विशेष में दश या कुशल। इसे विद्वान या निपुण भी कह सकते हैं। किसी विशेष विद्या का ज्ञान रखने वाला ही पंडित होता है। प्राचीन भारत में, वेद शास्त्रों आदि के बहुत बड़े ज्ञाता को पंडित कहा जाता था।

ब्राह्मण
ब्राह्मण शब्द ब्रह्म से बना है, जो ब्रह्म (ईश्वर) को छोड़कर अन्य किसी को नहीं पूजता, वह ब्राह्मण कहलाता गया है। जो पुरोहिताई करके अपनी जीविका चलाता है, वह ब्राह्मण नहीं, याचक है। जो ज्योतिषी या नक्षत्र विद्या से अपनी जीविका चलाता है वह ब्राह्मण नहीं, ज्योतिषी है। इस तरह वेद और ब्रह्म को छोड़कर जो कुछ भी कर्म करता है वह ब्राह्मण नहीं है।

show more

Share/Embed