Published On Oct 2, 2021
KDYT-0015:
बिहार की एक अलग और अनोखी कला।सरकार और नए पीढ़ी की बेरुखी है चिन्ता का कारण।
मधुबनी: हम आपको बिहार के एक अलग और अनोखी कला के बारे में बताते हैं। मधुबनी जिले के कुछ खास इलाको दीप, रांटी और बासोपट्टी के कुछ खास इलाकों में बसे हैं ये लोग। वैसे तो ये अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय से आते हैं लेकिन आमतौर पर इन्हें पमरिया के नाम से जाना जाता है। तकरीबन 8-9 साल की छोटी सी उम्र से ही इनकी तालीम शुरू हो जाती है। इनकी ट्रेनिंग की मियाद अमूमन 2 साल की रहती है। उसके बाद ये घूम-घूम कर अपनी जीविका के लिये अपने कला से लोगों का मनोरंजन करते हैं। आमतौर पर ये बच्चे के जन्म पर गाना-बजाना कर और उनको आशीर्वाद देकर उनसे कुछ पैसे कमा लेते हैं। कोरोना काल में ऐसे अधिकतर परिवारों की हालत खराब है। सरकार और नए पीढ़ी की बेरुखी इनके लिये एक चिन्ता का कारण बनी हुई है।
रिपोर्ट एवं कैमरा: अजय धारी सिंह
कॉन्सेट एवं एडिटिंग: आशीष धारी सिंह
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