श्रीमद्भागवत महापुराण स्कंध 5 अध्याय 14 भवाटवीका स्स्पष्टीकरण
Radha Krishan Sakhi Radha Krishan Sakhi
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 Published On Sep 30, 2024

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#श्रीमद्भागवत

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श्रीमद्भागवत महापुराण पंचम स्कंध का चौदहवा अध्याय 🌺 राधे राधे 🌺


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हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे,
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे,


Thank you for being part of my world! We rise by lifting others!

आपको जानकार खुशी होगी कि यह यूट्यूब चैनल पूरे विश्व में अध्यात्म का सबसे बड़ा यूट्यूब चैनल है जहाँ ठाकुर जी नित्य दिव्य लीलाओं का श्रवणपान कथाओं के माध्यम से कराया जाता है।


#महर्षि वेद व्यास द्वारा रचित 18 #पुराणों में #श्रीमद्भागवत सबसे श्रेष्ठ एवं पवित्र #पुराण है। यह पुराण समस्त पुराणों का सार है। इस महापुराण में भगवान #श्रीकृष्ण (विष्णु अवतार) की अनेक #लीलाओं और #कथाओं का सुंदर वर्णन विस्तार से किया गया है ।' श्रीमद्भागवत पुराण' में #भगवान श्रीकृष्ण के ईश्वरीय और अलौकिक रूप का दिव्य वर्णन किया गया है। कथाओं के अलावा इस महापुराण में भगवान के भक्तों और उनकी मुक्ति की कथाओं का भी विस्तार से वर्णन किया गया है। इस महापुराण में 18 हजार श्लोक, 12 स्कन्ध और 335 अध्याय हैं । #श्रीमद्भागवत कथा महापुराण ज्ञान यज्ञ का आयोजन 7 दिनों में सम्पादित होता है। जिस प्रकार से नदियों में #गंगा, तीर्थों में #काशी का महत्त्व है, उसी प्रकार पुराणों-वेद शास्त्रों में श्रीमद भागवत महापुराण का अपना एक सर्वश्रेष्ठ स्थान और महत्त्व है . हिंदू समाज और वैष्णव संप्रदाय का यह एक प्रमुख धार्मिक ग्रन्थ हैं. इस ग्रन्थ में वेदों, उपनिषदों तथा दर्शन शास्त्र के गूढ़ एवं रहस्यमय विषयों को अत्यन्त सरलता के साथ निरूपित किया गया है
श्रीमद भागवत महापुराण को भारतीय धर्म और संस्कृति का

विश्वकोश कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा। सैकड़ों वर्षों से यह पुराण

हिन्दू समाज की धार्मिक, सामाजिक और लौकिक मर्यादाओं की

स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता आ रहा हैं। इस पुराण में

सकाम कर्म, निष्काम कर्म, ज्ञान साधना, सिद्धि साधना, #भक्ति,

#अनुग्रह, मर्यादा, द्वैत-अद्वैत, द्वैताद्वैत, निर्गुण-सगुण तथा

व्यक्त-अव्यक्त रहस्यों का समन्वय उपलब्ध होता है। 'श्रीमद्भागवत

पुराण' वर्णन की विशदता और उदात्त काव्य-रमणीयता से

ओतप्रोत है। यह विद्या का अक्षय भण्डार है। यह पुराण सभी

प्रकार के #कल्याण देने वाला तथा त्रय ताप-आधिभौतिक,

आधिदैविक और आध्यात्मिक आदि का शमन करता है। ज्ञान,

#भक्ति और वैराग्य का बोध कराने वाला यह एक महान ग्रन्थ है।

इस पुराण में बारह स्कन्ध हैं, जिनमें विष्णु के अवतारों का ही वर्णन है। नैमिषारण्य में शौनकादि ऋषियों की प्रार्थना पर लोमहर्षण के पुत्र उग्रश्रवा सूत जी ने इस पुराण के माध्यम से श्रीकृष्ण के चौबीस अवतारों की कथा कही है। श्रीमद्भागवत को कल्प वृक्ष माना गया है जिसके श्रवण मात्र से सभी प्रकार के फल प्राप्त होते हैं। भागवत कथा श्रवण से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शांति व मुक्ति मिलती है। श्रीमद भागवत कथाश्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। भक्त और भगवान के बीच एक कड़ी श्रीमद्भागवत है, जो भक्त को भगवान के समीप पहुंचाता है। भागवत कथा का पाठन और श्रवण दोनों मानव कल्याण के लिए है। जीवन में हर इंसान को एक बार भागवत कथा का पाठ या श्रवण करना जरूरी है। कथा के श्रवण मात्र से मनुष्य के सारे दोष मिट जाते हैं। निर्मल बुद्धि का प्रसार होने लगता है।



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