सम्राट पृथ्वीराज चौहान जयंती 19 मई 2020 | WWE :- Rinku Singh Rajput & Sourav Gurjar
5G HINDUSTAN 5G HINDUSTAN
147K subscribers
294,608 views
18K

 Published On May 18, 2020

सम्राट पृथ्वीराज चौहान जयंती 19 मई 2020 | WWE :- Rinku Singh Rajput & Sourav Gurjar

सम्राट पृथ्वीराज चौहान जयंती 19 मई 2020 | WWE :- Rinku Singh Rajput & Sourav Gurjar


शूरवीर महाराज पृथ्वीराज चौहान पर फिल्म आ रही है. जिसमें उनका किरदार बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार निभाएंगे. पृथ्वीराज (सन् 1178-1192) चौहान वंश के हिंदू क्षत्रिय राजा थे, जो उत्तर भारत में12 वीं सदी के उत्तरार्ध में अजमेर और दिल्ली पर राज्य करते थे. आइए जानते हैं उनके बारे में.

इतिहास के पन्ने पलटे तो पृथ्वीराज चौहान के बारे में कई जानकारियां हाथ लगेगी. पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1168 में अजमेर के राजा सोमेश्वप चौहान के यहां गुजरात में हुआ था. वह बचपन से ही प्रतिभाशाली बालक थे. जब उनके पिता की मृत्यु हुई तो उन्होंने 13 साल की उम्र में अजमेर के राजगढ़ की गद्दी को संभाला.

पृथ्वीराज चौहान बचपन से ही एक कुशल योद्धा थे, उन्होने युद्ध के अनेक गुण सीखे थे. उन्होने अपने बाल्य काल में ही योद्धा बनने के सभी गुण सीख लिए थे.

बता दें, पृथ्वीराज के दादा अंगम दिल्ली के शासक थे. उन्होंने पृथ्वी चौहान के साहस और बहादुरी के किस्से सुनने के बाद उन्हें दिल्ली के सिंहासन का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया. बताया जाता है पृथ्वीराज इतने बलवान थे कि एक बार उन्होंने बिना किसी हथियार के मदद के शेर मार डाला था.

पृथ्वीराज चौहान ने दिल्ली के राज सिंहासन की गद्दी पर विराजने के बाद ही किला राय पिथौरा का निर्माण किया था. 13 साल की उम्र में उन्होंने गुजरात के पराक्रमी शासक भीमदेव को हरा दिया था.

पृथ्वीराज चौहान 6 भाषाओं में निपुण थे, जैसे – संस्कृत, प्राकृत, मागधी, पैशाची, शौरसेनी और अपभ्रंश भाषा. इसके अलावा उन्हें मीमांसा, वेदान्त, गणित, पुराण, इतिहास, सैन्य विज्ञान और चिकित्सा शास्त्र का भी ज्ञान था.


कैसी थी पृथ्वीराज चौहान की सेना

पृथ्वीराज चौहान मानसिक और शारीरिक रूप से जितने बलवान थे उतने ही बलवान उनकी सेना भी थी. इतिहासकारों के अनुसार पृथ्वीराज की सेना में 300 हाथी तथा 3,00,000 सैनिक थे, जिनमें बड़ी संख्या में घुड़सवार भी थे.

पृथ्वीराज चौहान की प्रेम कहानी

पृथ्वीराज चौहान भारतीय इतिहास के सबसे प्रसिद्ध हिन्दू राजपूत राजाओं में एक थे. उनका राज्य राजस्थान और हरियाणा तक फैला हुआ था. वे बहुत ही साहसी, युद्ध कला में निपुण और अच्छे दिल के राजा थे, साथ ही बचपन से ही तीर कमान और तलवारबाजी के शौकिन थे.

पृथ्वीराज चौहान को कन्नौज के राजा जयचंद की पुत्री संयोगिता पसंद आ गई, राजकुमारी संयोगिता से प्रेम होने पर, पृथ्वीराज चौहान ने स्वयंवर से ही उठा लिया और गन्धर्व विवाह किया और यही कहानी अपने आप में एक मिसाल बन गई.

चन्द्रवरदाई और पृथ्वीराज चौहान दोनों बचपन के मित्र थे और बाद में आगे चलकर चन्द्रवरदाई एक कवि और लेखक बने जिन्होंने हिंदी /अपभ्रंश में एक महाकाव्य पृथ्वीराज रासो लिखा.

आपको बता दें, प्रथम युद्ध में सन 1191 में मुस्लिम शासक सुल्तान मुहम्मद शहाबुद्दीन गौरी ने बार बार युद्ध करके पृथ्वीराज चौहान को हराना चाहा पर ऐसा ना हो पाया. पृथ्वीराज चौहान ने 17 बार मुहम्मद गौरी को युद्ध में परास्त किया और दरियादिली दिखाते हुए कई बार माफ भी किया और छोड़ दिया पर अठारहवीं बार मुहम्मद गौरी ने जयचंद की मदद से पृथ्वीराज चौहान को युद्ध में मात दी और बंदी बना कर अपने साथ ले गया. पृथ्वीराज चौहान और चन्द्रवरदाई दोनों ही बन्दी बना लिए गए और सजा के तौर पर पृथ्वीराज की आखें गर्म सलाखों से फोड दी गई.

मोहम्मद गौरी ने चन्द्रवरदाई के द्वारा पृथ्वीराज चौहान की आखिरी इच्छा पूछने को कहा. क्योंकि चन्द्रवरदाई पृथ्वीराज चौहान के करीब थे. पृथ्वीराज चौहान में शब्दभेदी बाण छोड़ने के गुण भरे पड़े थे. ये जानकारी मोहम्मद गोरी तक पहुंचाई गई जिसके बाद उन्होंने कला प्रदर्शन के लिए मंजूरी भी दे दी.

जहां पर पृथ्वीराज चौहान अपनी कला का प्रदर्शन करने वाले थे वहीं पर मौहम्मद गौरी भी मौजूद थे. गौरी को मारने की योजना चन्द्रवरदाई के साथ मिलकर पृथ्वीराज चौहान ने पहली ही बना ली थी. जैसे ही महफिल शुरू होने वाली थी चन्द्रवरदाई ने काव्यात्मक भाषा में एक पक्तिं कही...

'चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान'

ये दोहा चंद्रवरदाई ने पृथ्वीराज चौहान को संकेत देने के लिए कहा था. जैसे ही इस दोहे को सुनकर मोहम्मद गोरी ने 'शाब्बास' बोला. वैसे हीं अपनी दोनों आंखों से अंधे हो चुके पृथ्वीराज चौहान ने गोरी को अपने शब्दभेदी बाण के द्वारा मार डाला.

वहीं दुखद ये हुआ कि जैसे ही मोहम्मद गोरी मारा गया उसके बाद ही पृथ्वीराज चौहान और चंद्रवरदाई ने अपनी दुर्गति से बचने की खातिर एक-दूसरे की हत्या कर दी. इस तरह पृथ्वीराज ने अपने अपमान का बदला ले लिया. वहीं जब पृथ्वीराज के मरने की खबर संयोगिता ने सुनी तो उसने भी अपने प्राण ले लिए.

अफगानिस्तान के गजनी शहर के बाहरी क्षेत्र में पृथ्वीराज चौहान की समाधि आज भी है, अफगानिस्तान में 800 साल से राजपूत शासक पृथ्वीराज चौहान की समाधि को शैतान बताकर और उस पर जूते मारकर अपमानित करते थे, जिसके बाद भारत सरकार ने उनकी अस्थियां भारत मंगवाने का फैसला किया था.

बता दें, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के लोगों की नजरों में मोहम्मद गोरी हीरो बना हुआ है. जबकि पृथ्वीराज चौहान को अपना दुश्मन मानते हैं. चुकी पृथ्वीराज चौहान ने गोरी की हत्या की थी. यही वजह है कि पृथ्वीराज चौहान की समाधी को वे लोग तिरस्कार भरी नजरों से देखते हैं.

show more

Share/Embed