Published On Sep 30, 2023
झूम उठे भक्त, जब रूठी राधा को मनाने यहां मयूर बन नाचे कान्हा
फोटो केप्सन:- मोर कुटी पर कान्हा मयूर लीला करते हुए
मोरा बन गये मदन मुरारी, ऐसो नृत्य कियो गिरधारी,
बरसाना । बूढ़ी लीला के दौरान गहवर वन स्थित मोर कुटी पर रविवार को मयूर लीला का मंचन परंपरागत रूप से किया गया। राधा जन्म के बाद होने वाली द्वापर कालीन लीलाओं को बूढी लीला का नाम दिया गया है। मयूर लीला को लेकर बृज में मान्यता है कि एक बार कृष्ण की प्राण प्रिय श्रीराधा के रूठने पर श्रीकृष्ण ने उन्हें मनाने के अनेकों जतन किए, लेकिन राधा जी प्रसन्न नहीं हुईं। अंत में भगवान कृष्ण ने मयूर का रूप धारण कर राधा जी के सामने नृत्य करने लगे और राधा जी प्रसन्न हो गईं।
इन लीलाओं का शुभारंभ बृज के ग्वाल वालों को साथ लेकर करीब 500 साल पहले रासलीला के अनुकरणकर्ता महाप्रभु नारायण भट्ट ने किया था। अष्ट सखियों गांव में होने वाली इन बूढी लीलाओं का मंचन चिकसोली के बिरजन स्वामी द्वारा परंपरागत रूप से किया जा रहा है। लीला की झलक पाने के लिए तपती धूप में श्रद्धालु डटे रहे और लीला शुरू होने से पूर्व भजन और कीर्तन के साथ राधाकृष्ण के स्वरूपों के साथ आने का इंतजार करते रहे। लीला की शुरुआत युगल सरकार की आरती के साथ हुई। एक घंटे तक चली इस लीला में गर्मी और धूप की परवाह किए बिना भक्त डटे रहे। साल दर साल अपने अराध्य के प्रति यह उत्साह लगातार सैलाब बनकर बढ़ता जा रहा है। देश के दूरसस्थ स्थान से आए श्रद्धालु लीला की एक झलक पाकर अपने को धन्य मानने लगे।
विलासगढ़ की जोगिन लीला आज
बरसाना। राधाष्टमी महोत्सव के दौरान बूढ़ी लीला के चलते आज सोमवार को बरसाना चिकसौली के मध्य में स्थित विलासगढ़ पर रास विलास व जोगिन लीला का आयोजन होगा