भगवान गंगाधर की आरती | मृत्युंजय हिरेमठ | ॐ जय गंगाधर | Shiv Gangadhar Aarti | Mritunjay Hiremath
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 Published On Dec 5, 2020

🙏हिमालये तू केदारं तं नमामि🙏
सुनिए मंत्रमुग्ध कर देने वाला
॥ भगवान गंगाधर की आरती ॥
स्वर - परम शैव पं. मृत्युंजय हिरेमठ जी केदारनाथ धाम
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॥ भगवान गंगाधर की आरती ॥
ॐ जय गंगाधर जय हर जय गिरिजाधीशा।
त्वं मां पालय नित्यं कृपया जगदीशा॥ ॐ हर...॥

कैलासे गिरिशिखरे कल्पद्रमविपिने।
गुंजति मधुकरपुंजे कुंजवने गहने॥ ॐ हर...॥

कोकिलकूजित खेलत हंसावन ललिता।
रचयति कलाकलापं नृत्यति मुदसहिता ॥ ॐ हर...॥

तस्मिंल्ललितसुदेशे शाला मणिरचिता।
तन्मध्ये हरनिकटे गौरी मुदसहिता॥ ॐ हर...॥

क्रीडा रचयति भूषारंचित निजमीशम्‌।
इंद्रादिक सुर सेवत नामयते शीशम्‌ ॥ ॐ हर...॥

बिबुधबधू बहु नृत्यत नामयते मुदसहिता।
किन्नर गायन कुरुते सप्त स्वर सहिता॥ ॐ हर...॥

धिनकत थै थै धिनकत मृदंग वादयते।
क्वण क्वण ललिता वेणुं मधुरं नाटयते ॥ ॐ हर...॥

रुण रुण चरणे रचयति नूपुरमुज्ज्वलिता।
चक्रावर्ते भ्रमयति कुरुते तां धिक तां॥ ॐ हर...॥

तां तां लुप चुप तां तां डमरू वादयते।
अंगुष्ठांगुलिनादं लासकतां कुरुते ॥ ॐ हर...॥

कपूर्रद्युतिगौरं पंचाननसहितम्‌।
त्रिनयनशशिधरमौलिं विषधरकण्ठयुतम्‌॥ ॐ हर...॥

सुन्दरजटायकलापं पावकयुतभालम्‌।
डमरुत्रिशूलपिनाकं करधृतनृकपालम्‌ ॥ ॐ हर...॥

मुण्डै रचयति माला पन्नगमुपवीतम्‌।
वामविभागे गिरिजारूपं अतिललितम्‌॥ ॐ हर...॥

शंखनिनादं कृत्वा झल्लरि नादयते।
नीराजयते ब्रह्मा वेदऋचां पठते॥ ॐ हर...॥

सुन्दरसकलशरीरे कृतभस्माभरणम्‌।
श्री वृषभध्वजरूपं तापत्रयहरणं ॥ ॐ हर...॥

ध्यानं आरति समये हृदये अति कृत्वा।
रामस्त्रिजटानाथं ईशं अभिनत्वा॥ ॐ हर...॥

संगतिमेवं प्रतिदिन पठनं यः कुरुते।
शिवसायुज्यं गच्छति भक्त्या यः श्रृणुते ॥ ॐ हर...॥

ॐ जय गंगाधर जय हर जय गिरिजाधीशा।
त्वं मां पालय नित्यं कृपया जगदीशा॥ ॐ हर...॥

कर्पूर_गौरम_करुणावतारं, संसार सारं भुजगेन्द्र हारं।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।
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