बिहार सरकार द्वारा निर्मित एक प्रगतिशील कृषक की कहानी (Made by Government of Bihar)
shrikant kumar shrikant kumar
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 Published On Dec 29, 2019

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मै गया ज़िला के डोभी ब्लॉक के केशापी गॉंव के एक मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ. हमारे पास 5 एकड़ जमीन थी जिससे प्रारम्भ में खेती कर के किसी तरह अपने संयुक्त परिवार का भरण पोषण करते थे. खेत से जो भी आमदनी होती थी उससे अपने संयुक्त परिवार का भरण पोषण बहुत मुश्किल से होता था . इसी क्रम में कुछ पैसे कमाने के ललक में ट्रक चालक के रूप में पंजाब , हरियाणा ,उतर प्रदेश इत्यादि जगहों पर गये तथा वहां पर कृषि कार्यों को देखा उन्ही स्थानों से प्रेरणा पाकर कृषि के प्रति रूचि लेते हुए सब्जी लगाना प्रारंभ किया |

इससे मेरी आय धीरे धीरे बढ़ने लगी | इसके बाद ये बागवानी की ओर भी इनका ध्यान गया तथा १ एकड़ में आम के पौधों को लगाया |इसके बाद कृषि कार्य में पूरी रूचि होने के कारन जिला कृषि कार्यालय,आत्मा तथा उद्यान कार्यालय के संपर्क में आये |कृषि विभाग तथा आत्मा के द्वारा इन्हें प्रशिक्षण हेतु पंतनगर,पूषा,झाँसी इत्यादी स्थानों पर भेजा गया |इसके बाद उपरोक्त स्थानों से प्रशिक्षण प्राप्त कर कृषि में पूर्ण रूप से परिवार सहित लग गये |

आज मेरे द्वारा अपनी भूमि का एक-एक इंच को कृषि कार्य हेतु उपयोग किया जा रहा है| इनके पास गोबर गैस प्लांट, वर्मी कम्पोस्ट इकाई उपलब्ध है| साथ ही साथ आम का बहुत बड़ा बगीचा है इनके पास उन्नत कृषि यन्त्र पावर टिलर, नेपसेक, पावर स्प्रेयर इत्यादी उपलब्ध है |

इनके द्वारा वर्मी कम्पोस्ट का भी उत्पादन किया जा रहा है | कृषि विभाग के परामर्श से समेकित कृषि प्रणाली को अपनाया गया है | इनका रुझान अब मशरूम उत्पादन की ओर है | इस प्रकार मुश्किल से जीवन यापन करने वाला सलाना 50-60 हजार रूपये प्रति एकड़ का मुनाफा कमा रहे है | कृषि के क्षेत्र में ये इतनी जानकारी प्राप्त कर चुके हैं की आत्मा के सहयोग से किसान प्रक्षेत्र पाठशाला का संचालन भी इनके द्वारा किया जा रहा है| इस तरह इनका जीवन स्तर कृषि को अपनाकर काफी सुखी है तथा भविष्य में कृषि क्षेत्र में काफी कुछ करने की तमन्ना हैं|

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