Published On Mar 19, 2022
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अर्थ सहित वैदिक संध्या - ब्रह्मयज्ञ
वेदों के अनुसार प्रातः - सायं ईश्वर का ध्यान करना मनुष्य का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और मुख्य कर्तव्य है। आद्य ऋषि ब्रह्मा जी से महर्षि दयानंद जी पर्यन्त सभी ऋषियों ने संध्योपासना की विधि को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाकर उच्च योग्यता को प्राप्त किया था। आइये हम भी अर्थ और भावना युक्त होकर प्रतिदिन प्रातः सायं संध्या करने का संकल्प लेवें। संध्या मंत्रार्थ समझने के लिए विडियो को पूरा सुने।
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