Published On Aug 6, 2023
पवित्र पंढरपुर क्षेत्र में चंद्रभागा नदी के तट पे स्थित भक्तिवेदांत गुरुकुल पारंपरिक वेदिक गुरुकुल है जो वेदिक मर्यादाओं सुसज्जित है। गुरुकुल में शिक्षाए और व्यवहार पारंपरिक रूप से संस्कृत भाषा में ही होता है। यहां विद्यार्थी भारतवर्ष के अनेकों स्थानों से आकर वेदिक शास्त्रों का अध्ययन करते है।
गुरुकुल में छात्रों का चरित्र सुदृढ होता है। माता–पिता,गुरु, कुटुम्ब, समाज, राष्ट्र, देश, धर्म के प्रति अपने आपको जिम्मेवार समझता है।
पारंपरिक गुरुकुल के मुख्य शिक्षाएं है १४ विद्या ६४ कला जो इस गुरुकुल में दी जाती है।
१४ विद्याओं में यजुऋग्सामाथर्व आदी ४ वेद, शिक्षाकल्पनिरुक्तछंदव्याकरणज्योतिष आदी ६ वेदांग तथा ४ उपवेद है।
६४ कलाओं में संगीत, पाक , चित्रकला आदी विविध कलाओं का समावेश होता है
संस्कृत व्याकरण – पाणिनी अष्टाध्यायी, लघुसिद्धांत कौमूदी, शुक्ल यजुर्वेदीय प्रातिशाख्य, हरिनामामृत व्याकरण आदी
संस्कृत साहित्य – अलंकार, छंद, नाट्यशास्त्र, अभिज्ञातशाकुंतलम आदी
दर्शन शास्त्र – सांख्य, वैशेषिकी, न्याय, पूर्व मीमांसा, उत्तर मीमांसा आदी
वेदाध्ययन - ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद इनका व्याकरण सहित अध्ययन
यजुर्वेद की शुक्लयजुर्वेद माध्यांदिन शाखा, कृष्ण यजुर्वेद तैत्तरीय शाखा तथा सामवेद की कौथुम शाखा के संहिताओं अध्ययन
उपनिषद् तथा पुराण, मनुष्य आचार संहिता, रामायण, महाभारत आदी इतिहास
पंचरात्र आगम शास्त्र
यज्ञ तथा विविध पूजा प्रयोग
भक्तिशास्त्र – वैष्णव आचार संहिता, उपदेशामृत, भक्तिरसामृतसिंधू, भगवदगीता, श्रीमद् भागवत पुराण, श्री श्री चैतन्य चरितामृत आदी
तथा वेदिक गणित, विज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र आदी लौकिक विषय
इस प्रकार का अभ्यासक्रम इस गुरुकुल में पढ़ाया जाता है।
इस गुरुकुल के माध्यम से भावी संतान कुटुम्ब, समाज, राष्ट्र तथा देश का आदर्श तथा उज्वल भविष्य बनता है जो चरित्र तथा बुद्धि से परम तेजोमय होता है।
कृपया गुरुकुल शिक्षा पद्धति को प्रोत्साहित करें।
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