GHAZAL - MUJHKO HAMDARD NA SAMJHO - SUMBUL FAIZANI
Huzur Saheb Huzur Saheb
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 Published On Feb 23, 2019

SUMBUL FAIZANI
मुझको हमदर्द न समझो तो कोई बात नहीं !
ग़ैर का साथ न छोड़ो तो कोई बात नहीं !!
आज के दौर में रिश्तों की हक़ीक़त क्या है !
तुम मुझे ग़ैर ही समझो तो कोई बात नहीं !!
अब अंधेरों से तो दहशत नहीं होती मुझको !
खिड़कियां बंद भी रखो तो कोई बात नहीं !!
दस्त की प्यास अब तक नहीं बुझने वाली !
बादलों बरसो न बरसो तो कोई बात नहीं !!
अपना दुश्मन तो किसी को नहीं अच्छा लगता !
तुम मेरी सम्त न देखो तो कोई बात नहीं !!
मिलने वाला ही नहीं हमको वफ़ाओं का सिला !
अब भी सुम्बुल जो न समझो तो कोई बात नहीं !!
~ सुम्बुल फ़ैज़ानी

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