Published On Apr 17, 2019
सुहागन तीरथ करने चली ॥ धृ ।।
अंग भरे जेवर सजवाकर, कंधी तेलसे मली ।।१।।
पतिके सिरपर बोझा देकर, हाथ हिलावत खुली ।।२।।
ऊँट सवारो, घोडा बाँधो, आप रहत है खुली ॥३।।
रोठ बुलाओ, लड़ बनाओ, आप न थोडी हिली ।।४।
पती बिचारा बेल बना है, आप बनी है बली ॥५॥
सन्त-देवता से नहीं नाता, घुमे दुकान और गली।।६॥
क्या होगा तीरथ करनेसे ? पती चढ़ाया सुली ॥७।।
तुकड्यादास कहे ए भाई! काहेको ऐसी पली! ।।८।।
राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज
Rashtrasant Tukdoji Maharaj Bhajan – Suhagan Tirath Karane Chali
रचना - राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज
Source: From the collection of Shri. Mohan Gaigol, Rashtrasant Tukdoji Maharaj Gurudev Seva Ashram Bhajan Mandal, Changefal. हे भजन share करण्यामागे फक्त महाराजांच्या ठायी असलेली भावभक्ती हा एकमेव हेतू आहे.
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