God Bangal say i chal//गौड़ बगांल से आई रे चाल के एक बाह्राण की जाई रे खाटू मे देखी Shyam bhajan
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 Published On Premiered Jun 18, 2021

गौड़ बंगाल से आई चाल कर एक ब्राह्मण की जाई।
खाटू म बाबा देखी तेरी संकलाई एकबार श्याम कथा जरूर सुने

नारू जी चौमाल, लक्ष्मणगढ़ 24:16
आस्था श्याम की युटुब चैनल
आस्था म्यूजिकल ग्रुप सुजानगढ़ राजस्थान
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जय श्री श्याम
लिरिक्स
गौड़ बंगाल से आई रे चाल के एक ब्राह्मण की जाई,रे
खाटू में देखि शयाम तेरी संकलाई...(God bangal se aai re chal ke)

ब्राह्मणी के घर माय ,
कमी ना धन धान की ।
सारी बाता ठाट हो रया,
इँछा थी संतान की ।
भक्ता से सुनी चर्चा श्याम भगवान की ,
ब्राह्मणी पति से बोली ,सुणो पीया म्हारी बात,
खाटू में ह् श्याम धणी,
गठ जोड़े की देवा जात,
पुत्र को वरदान मांगू,
थे भी चालो म्हारे साथ,,2हाआ थे भी चालो

2no.  दोहा

नित उठ पूजा ज्योतिषी , पूज्या देव तमाम ,
एक पुत्तर के कारण में , पड्यो भांझनी नाम,

अर्ज मान ल्यो थे पीव म्हारी ,
खाटू में है श्याम बिहारी,
आशा पुरे दाता व्थारी ,
जल्दी सी करो थे चढाई रे,,,
गौड़ बंगाल से....(God bangal se)

 
ब्राह्मण जद बात मानी,
सासु सुसरा अंट गया

दौरानी जिठानी देवर-
जेठ सारा नट ग्या,
खाटू घणो दूर लागे
सारा घर का नटग्या,
पुत्तर को भी बीयोग सेती
सुणो म्हारा सासुजी,
कालजो उफ़ान आवे ,
सूखे कोणी आँसु जी,
लाग्यो ह् उमाओ म्हारे,
में तो खाटू ज्यासु जी,,

देवर जिठानी ननद ने,
यु कहती समझाय,
घर में दोलत धन घणो जी
कुण पिसे कुण खाय,

आने जाने में दिन दस लागे
खाण पीवण ने ले ल्यो सागे
कुन जाणे के होसी आगे,
सास नणद समझाई रे,
खाटू में देखी ,

रथड़े में बैठ गया ,
नाम ले गणेश को,
घणा दिना से चाव लाग्यो,
मरुधर देश को,
मनडे में विश्वाश म्हारे ,
खाटू के नरेश को,
दोनु मानस चाल पड्या,
घर मंजला घर कूंचा,
खाटू हाले खारडे में
दोपहरी में जाय पहुंच्या,
बड़ी बड़ी जॉन्टी खड़ी,
बड़ा बड़ा खड्या रूंख ,,हा हा हाजी

दोफारी को तावड़ो ,
धाड़ी मिलग्या चार,
धन की पेटी लूट ली जी,भाई
दियो विप्र ने मार,
धाड़ी लूट लियो ह् रथ ने,
कुण जाणे दाता तेरी गत ने
पड़यो तड़फतो देख्यो कंत ने,

कुरजा ज्यूँ कुरजाई रे,


हो श्याम धणी दातार,
गयो करतार,उम्र मेरी बाली,महाराज
में आई बेटो लैण ,
पत्ती दे चाली ,
मेरी सास नणद रही बर्ज,
पुत्र की गरज,ब्रंजता चाली,महाराज
में आई भरण ने गोद,
मांग होई खाली,

में पाछी किस बिद जाँऊ,
में खाय जहर मर जाँऊ
पति क

लिरिक्स
मोहनलाल जी चोटीया लक्ष्मणगढ़

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