राजनीति में भ्रष्टाचार
VIDYARTHI SAMAY [EDUCATIONAL NEWS] VIDYARTHI SAMAY [EDUCATIONAL NEWS]
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 Published On Jan 31, 2022

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नमस्कार आज मैं विशेष मुद्दे पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं मुद्दा है राजनीति में भ्रष्टाचार
जबसे राजनीति प्रारंभ हुई है तभी से राजनीति और भ्रष्टाचार एक दूसरे के पूरक हैं. कभी राजनीति में भ्रष्टाचार कम होता है कभी अधिक पर होता अवश्य है
देखिए राजनीति करने के लिए राजनीतिक पार्टी बनानी पड़ती है और पार्टी को चलाने के लिए पैसे की जरूरत होती है….. यह पैसा आता था कहां से है ?
एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं
एक एमएलए के चुनाव में कितना खर्च होता है?
अधिकतम 30 लाख चुनाव आयोग के अनुसार…
पर वास्तव में कितना खर्च होता है…
लगभग 3 करोड़ से 4 करोड़ और कभी-कभी इससे भी ज्यादा
यदि आप 4 करोड रुपए को 5 वर्ष के लिए किसी को एक रुपए से सैकड़ा पर भी दे दें तो वह लगभग
7.5 करोड रुपए हो जाएगा
यदि मैं इससे 60 से डिवाइड कर दूं तो यह लगभग 12 लाख रुपए आता है
क्या भारत में किसी एमएलए की सैलरी 12 लाख रुपए प्रतिमाह है?............
क्या उसने 4 करोड रुपए समाज सेवा के लिए खर्च किए हैं? नहीं बिल्कुल नहीं
वह 4 करोड़ से 40 करोड़ और उससे अधिक बनाना चाहता है
अलग अलग राजनीतिक पार्टियों और राजनीतिक व्यक्तियों में इस भ्रष्टाचार को करने के अलग-अलग सिद्धांत होते हैं
कुछ राजनीतिक व्यक्ति और राजनीतिक पार्टियां भैंस के दूध का ही खोआ करती हैं
कुछ राजनीतिक व्यक्ति और राजनीतिक पार्टियां भैंस सहित खोआ कर जाती है
कुछ राजनीतिक पार्टियां और राजनीतिक व्यक्ति आटे में नमक तरह भ्रष्टाचार करते हैं
लेकिन कुछ राजनीतिक पार्टियां आटे में ही नमक मिला देती है
लेकिन भ्रष्टाचार करते सब हैं ऐसा नहीं हो सकता कि कोई राजनीतिक पार्टी या उसके MLA भ्रष्टाचार न करें
अब आप यह समझिए कि भ्रष्टाचार होता कैसे
नंबर 1 एक MLA को 5 वर्ष में अपने क्षेत्र में विकास करने के लिए धन उपलब्ध कराया जाता है इस धन को कहां पर कैसे खर्च किया जाए इस पर एमएलए की सहमति आवश्यक होती है निश्चित इस कार्य को करने के लिए ठेकेदार और सरकारी अधिकारियों होते हैं
ठेकेदार और सरकारी अधिकारियों का गठजोड़ . सरकार की मंशा के अनुसार धन कमाते हैं उस धन में से कुछ रुपया MLA के पास और कुछ रुपया जिस राजनीतिक पार्टी की सरकार है उसके पार्टी फंड में पहुंचाया जाता है
ठेकेदार और सरकारी अधिकारी किसी पार्टी के कार्यकर्ता नहीं होते
जो राजनीतिक पार्टी इनको अधिक से अधिक पैसे लूटने की खुली छूट दे देती है
यह गठजोड़ अधिकतर उसी राजनीतिक पार्टी की सरकार चाहता है
इस गठजोड़ में कुछ पैसे के बहुत अधिक लालची राजनीतिक लोग भी होते हैं जो समय समय पर राजनैतिक पार्टियां बदलते रहते हैं
आटे में नमक की तरह भ्रष्टाचार करने वाली सरकार इस गठजोड़ को कम ही पसंद आती है…..
यह गठजोड़ सरकारों को बनाने में और बिगाड़ने में बहुत बड़ा योगदान निभाता है

नंबर 2 राज्य की पुलिस और मीडिया समूह सरकार की मंशा अनुसार इस भ्रष्टाचार को करने में या कराने में पूर्ण सहयोग करते हैं
नंबर 3 बड़े-बड़े उद्योगपति सीधे सरकार के मंत्रियों के संपर्क में रहते हैं वह राजनीतिक पार्टियों के लिए फंड की व्यवस्था करते हैं इसके बदले में उद्योगपति निश्चित सरकार से बहुत फायदा उठाते हैं

किसी राजनीतिक व्यक्ति या राजनीतिक पार्टी को बदनाम करने में मुख्य रूप से ठेकेदारों , दलालों ,मीडिया समूह,नौकरशाहों , उद्योगपतियों का मुख्य योगदान होता है
कम भ्रष्ट राजनीतिक व्यक्ति को या कम भ्रष्ट राजनीतिक पार्टियों को यह गठजोड़ टिकने नहीं देता है
आम जनता तो केवल एक मोहरा होती है सरकार अच्छा कार्य करें या बुरा उसे जनता की नजर में सही या गलत सिद्ध करना इस गठजोड़ का ही कार्य होता है अपने हित के लिए यह गठजोड़ किसी भी सीमा तक जा सकता है …
अब समय है कि आप सोच है कि आपको क्या करना है
धन्यवाद

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