छोटी काशी हाट का धार्मिक महत्व और वर्तमान स्थिति
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 Published On Sep 26, 2021

हाट गांव के इतिहास में सिमटने की ये कहानी अलकनंदा नदी पर वर्ष 2003 से निर्माणाधीन 444 मेगावाट विष्णुप्रयाग-पीलकोटी जल विद्युत परियोजना के निर्माण कार्य शुरु होने के साथ शुरु हुई। 4 हजार करोड़ की इस योजना के लिये हेलंग से पीपलकोटी तक 13.4 किलोमीटर की टनल का निर्माण कर अलकनंदा नदी के पानी को टनल से गुजार कर हाट गांव में 111 मेगावट की 4 टर्बाइनों के जरिये 444 मेगावाट बिजली का उत्पान करने की योजना तैयार हुई। परियोजना के निर्माण के लिये शासन, प्रशासन और परियोजना का निर्माण करने वाली कंपनी टीएचडीसी इंडिया लि. की ओर से कई दौर की वार्ता की गई और गांव की जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया। जिसके बाद 2021 के सितम्बर माह तक 140 परिवारों में से 112 परिवार अन्यत्र बसा दिया गया। लेकिन कुछ परिवारों ने कुछ विस्थापन के लिये सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, सामुदायिक विकास के जैसी शर्तों को पूरा करने तक गांव से न जाने की बात कही। वर्ष 2009 में इसे लेकर चमोली जिला प्रशासन, कंपनी और ग्रामीणों के बीच इस पर सहमति बनी। लेकिन कंपनी और प्रशासन वर्ष 2021 तक भी इन शर्तों को शत-प्रतिशत पूर्ण नहीं कर सकी, लेकिन परियोजना निर्माण की योजना के अनुसार वर्ष 2020 में परियोजना से विद्युत उत्पादन शुरु होना था। जो नहीं हुआ, जिसे कंपनी प्रबंधन और नीति नियंता एक किस्म का नुकसान मान रहे हैं। ऐसे में इन परिवारों के मुआवजा न लिये जाने के बाद भी जिला प्रशासन की मदद लेकर गांव के आखिरी बचे 16 भवनों को ग्रामीणों (ग्राम प्रधान हाट राजेंद्र हटवाल, ज्येष्ठ प्रमुख पंकज हटवाल, मुकेश गैरोला, नर्वदा देवी, प्रभा देवी) को हिरासत में लेकर भवनों को तोड़ दिया गया। यहां गांव के एक घर में बने बगडवाल देवता के मंदिर को भी तोड़ दिया गया। जबकि सामुहिक मंदिरों ध्वस्त न करने की बात कंपनी के अधिकारियों ने कई बार कही थी। अब कंपनी की ओर से गांव के लक्ष्मी नारायण मंदिर और शिव मंदिर के साथ बिल्ववन के संरक्षण की बात कही जा रही है। जबकि ग्रामीणों का कहना है कि गांव में बिस्कम (विश्वकर्मा) देवता, चंडिका मंदिर, कालिका मंदिर, सूरजकुंड, सप्तकुंड जैसे मंदिरों के संरक्षण को लेकर कोई बात प्रशासन या कंपनी प्रबंधन नहीं कर रहा है।

हाट गांव के 140 परिवारों को विस्थापित कर इतिहास में समेटने के बाद भी दिया गया है, सिर्फ मुआवजा!

गांव का नाम परियोजना के दस्तावेजों में महज अधिग्रहीत भूमि के नाम में दर्ज है। जो भविष्य में लोगों को सुनाई भी नहीं देगा। गांव के परिवारों के बिखने के बाद गांव का नाम भी बमुश्किल लिया जाएगा, क्योंकि परियोजना के नाम में भी गांव के नाम को कोई जगह नहीं मिल सकी है। ऐसे में भविष्य में इस गांव की जानकारी महज स्कन्दपुराण के केदारखंड में अध्याय 58 के 8 से 23 तक लिखे श्लोकों में ही मिल सकेगा और इतिहास के पन्नों में लिखा मिलेगा, और हम जो इसके साक्षी हैं सिर्फ ये कह सकेंगे एक था हाट गांव.........

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