Published On Jun 18, 2018
श्री गुलाब नाथ जी के ऐसे ही मिठे मिठे भजनो का आनंद लेने के लिया हमारे चैनल को subscribe जरूर करे
जय श्री नाथजी की
इण आंगणियै मे ए। कई खेल्या कई खेलसी। कई खेल सिधारया ए ॥टेर॥
आवो पाँच सहेलियो म्हारा सीम दो न चोला ए। मै हूँ अबला सूंदरी, मेरा सहिब भोला ए॥1॥
एक छिनौला, दूजी कूबड़ी, तीजी नाजुक छोटी ए। नैण हमारा यूँ झरे ज्यों गागर फूटी ए॥2॥
जाय उतारै हरिये बड़ तलै, संगी कुरलाया ए। थे घर जाओ भैणा आपणै, म्हे भया पराया ए॥3॥
काजी तो महमद यूँ कया अब यहाँ नहीं रहणा ए। आया परवाना श्याम का, सखी यहाँ से चलणा ए॥4
show more