|| Moosi Maharani ki Chhatri || राजा की मौत के बाद रानी हुई सती, रहस्यकारी और चौकाने वाला तथ्य ।।
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 Published On Apr 1, 2020

LOCATION ::- Moosi Maharani Ki Chhatri
City Palace Rd, Mohalla Ladiya, Alwar, Rajasthan 301001
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मूसी महारानी की छतरी:-

इनकी छतरी राजस्थान के अलवर के बाला दुर्ग के नीचे सागर के दक्षिण किनारे हिन्दू स्थापत्य कला की इस ८० खम्भों की छतरी का निर्माण महाराजा बख्तारसिंह की मूसी रानी की स्मृति में महाराजा विनय सिंह के काल में हुआ था। सफेद संगमरमर एवं लाल पत्थर से निर्मित इस छतरी की ऊपरी मंजिल पर रामायण और महाभारत के भित्ति चित्र भी बने हुए हैं।

इस दो मंजिल वाली छतरी को महाराजा विनय सिंह ने अपने पिता बख्तावर सिंह और उनकी रानी मूसी की याद में 1815 में बनवाया था। जैसा कि यहां लगे साइन बोर्ड पर लिखा है कि महाराजा बख्तावर सिंह के साथ उनकी रानी मूसी सती हो गई थीं। इसलिए शहर के लोग सम्मान में इसे मूसी महारानी की छतरी कहते हैं।

बख्तावर सिंह का समय शासन काल के लिहाज से 1790-1814 का रहा था। छतरी का निचला भाग बलुआ पत्थर से तो उपर का हिस्सा सफेद संगमरमर से बना है। पत्थर में कई तरह के डिजाइन हैं। इन पर रामायण और भागवत कथा के दृश्य अंकित किए गए हैं। कुछ चित्रों में महाराज बख्तावर सिंह को घोड़े पर सवार चित्रित किया गया है। कई चित्र पानी के रिसाव के कारण ध्वस्त हो चुके हैं। छतरी के निर्माण के लिए लाल बलुआ पत्थर राजस्थान के करौली इलाके से मंगाए गए थे। छतरी की आंतरिक सज्जा भी अत्यंत सुंदर है।

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