Published On Sep 29, 2024
"तीनों गुण क्या हैं? प्रमाण सहित"
"तीनों गुण रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी, तमगुण शिव जी हैं। ब्रह्म काल) तथा प्रकति (दुर्गा) से उत्पन्न हुए हैं तथा तीनों नाशवान हैं"
( प्रमाण :- गीताप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित श्री शिव महापुराण जिसके सम्पादक हैं श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार पष्ठ सं. 24 से 26 विद्यवेश्वर संहिता तथा पष्ठ 110 अध्याय 9 रूद्र संहिता "इस प्रकार ब्रह्मा-विष्णु तथा शिव तीनों देवताओं में गुण हैं, परन्तु शिव
संपूर्ण संगठनात्मक संरचना
(ब्रह्म-काल) गुणातीत कहा गया है।
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दूसरा प्रमाण:- गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद् देवी भागवत पुराण जिसका
सम्पादक हैं श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार चिमन लाल गोस्वामी, तीसरा स्कंद, अध्याय 5 पष्ठ 123 :- भगवान विष्णु ने दुर्गा की स्तुति की कहा कि मैं (विष्णु), ब्रह्मा तथा शंकर तुम्हारी कपा से विद्यमान हैं। हमारा तो आविर्भाव (जन्म) तथा तिरोभाव (मत्यु) होती है। हम नित्य (अविनाशी) नहीं हैं। तुम ही नित्य हो, जगत् जननी हो, प्रति और सनातनी देवी हो। भगवान शंकर ने कहा यदि भगवान ब्रह्मा तथा भगवान विष्णु तुम्हीं से उत्पन्न हुए हैं तो उनके बाद उत्पन्न होने वाला मैं तमोगुणी लीला करने वाला शंकर क्या तुम्हारी संतान नहीं हुआ ? अर्थात् मुझे भी उत्पन्न करने वाली तुम ही हों। इस संसार की सष्टि-स्थिति-संहार में तुम्हारे गुण सदा सर्वदा हैं। इन्हीं तीनों गुणों से उत्पन्न हम, ब्रह्मा-विष्णु तथा शंकर नियमानुसार कार्य में तत्त्पर रहते हैं।
उपरोक्त यह विवरण केवल हिन्दी में अनुवादित श्री देवीमहापुराण से है, जिसमें कुछ तथ्यों को छुपाया गया है। इसलिए यही प्रमाण देखें श्री मद्देवीभागवत महापुराण सभाषटिकम् समहात्यम्, खेमराज श्री कष्ण दास प्रकाशन मुम्बई, इसमें संस्कत सहित हिन्दी अनुवाद किया है। तीसरा स्कंद अध्याय 4 पष्ठ 10, श्लोक 42:-
ब्रह्मा: मैं भगवान हूं, फिल, आपके प्रभाव से, हम सभी पैदा हुए हैं, तब नहीं जब आप शाश्वत हों
अन्य देवता और सौ यज्ञों के प्रमुख कौन हैं? (42) अंग्रेजी अनुवाद: हे माँ! ब्रह्मा, मैं और शिव आपके प्रभाव से उत्पन्न हुए हैं,
नित्य नही हैं अर्थात् हम अविनाशी नहीं हैं, फिर अन्य इन्द्रादि दूसरे देवता किस प्रकार नित्य हो सकते हैं। तुम ही अविनाशी हो, प्रति तथा सनातनी देवी हो।
पृष्ठ 11-12, अध्याय 5, श्लोक 8 यदि दया का दमन करने वाला मुझे सदैव नहीं बेचता है, तो मुझे कैसे निर्धारित किया जा सकता है और अंधकार की अवस्था और रजोगुण से उत्पन्न होने वाले कमल को अच्छी तरह से निर्धारित किया जा सकता है, इसके बारे में क्या? अच्छाई का तरीका, हरि? (8)
अनुवाद :- भगवान शंकर बोले हे मात ! यदि हमारे ऊपर आप दयायुक्त हो तो मुझे तमोगुण क्यों बनाया, कमल से उत्पन्न ब्रह्मा को रजोगुण किस लिए बनाया तथा विष्णु को सतगुण क्यों बनाया? अर्थात् जीवों के जन्म-मंत्यु रूपी दुष्कर्म में क्यों लगाया?
श्लोक 12: रामयसे स्वपतिं पुरुषं सदा तव गतिम् न हि विहा विद्म शिवे (12) हिंदी आप सदैव अपने पति, समय के स्वामी के साथ आनंदित रहें। आपकी गति को कोई नहीं जानता.
निष्कर्ष :- उपरोक्त प्रमाणों से प्रमाणित हुआ की रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु तथा तमगुण शिव है ये तीनों नाशवान है। दुर्गा का पति ब्रह्म (काल) है यह उसके साथ भोग विलास करता है। यह भी सिद्ध हुआ कि दुर्गा तथा ब्रह्म (काल) भी साकार हैं।