भूत और बिल्लू की दोस्ती | Milky Apple
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 Published On Sep 25, 2024

भूत और बिल्लू की दोस्ती | Milky Apple

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*भूत और बिल्लू की दोस्ती*

यह कहानी है एक छोटे से गाँव की, जहाँ एक प्यारा और शरारती बिल्ली का बच्चा बिल्लू रहता था। बिल्लू हमेशा इधर-उधर भागता रहता, कभी पेड़ों पर चढ़ता, कभी घरों की छतों पर उछल-कूद करता। लेकिन एक चीज़ थी जिससे बिल्लू बहुत डरता था—गाँव के पुराने किले में रहने वाला भूत।

गाँव के बड़े-बुज़ुर्गों ने बच्चों को बताया था कि उस किले में एक भूत रहता है। कोई भी बच्चा वहाँ जाने की हिम्मत नहीं करता था। सबको लगता था कि अगर कोई किले में गया, तो भूत उसे अपने जादू में फंसा लेगा। लेकिन बिल्लू को इन बातों पर यकीन नहीं था। उसका मानना था कि भूत जैसा कुछ नहीं होता।

एक दिन बिल्लू ने ठान लिया कि वह किले के अंदर जाकर खुद देखेगा कि वहां कोई भूत है या नहीं। वह धीरे-धीरे किले की ओर बढ़ा। जैसे ही वह किले के पास पहुंचा, उसने देखा कि किले के दरवाज़े के पास एक हल्की सी आवाज़ आ रही थी। बिल्लू थोड़ा डर तो गया, लेकिन उसने हिम्मत करके अंदर कदम रखा। किला बड़ा और सुनसान था, और चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था।

बिल्लू धीरे-धीरे अंदर चला गया और अचानक उसके सामने एक छाया दिखाई दी। वह डर से कांपने लगा और छिपने के लिए एक कोने में दुबक गया। तभी उस छाया ने धीरे से कहा, "डरो मत, मैं तुम्हें कुछ नहीं करूंगा।" बिल्लू ने हिम्मत करके अपनी आँखें खोलीं और देखा कि सामने एक छोटा और दोस्ताना भूत खड़ा था।

भूत ने बिल्लू से मुस्कुराते हुए कहा, "मेरा नाम भोलू है, और मैं इस किले में रहता हूँ। मैं तुम्हें डराने नहीं आया, बल्कि दोस्ती करने आया हूँ।" बिल्लू को यकीन नहीं हो रहा था कि भूत उससे दोस्ती करना चाहता है। उसने भोलू से पूछा, "तुम भूत हो और मैं बिल्ली हूँ, हम कैसे दोस्त बन सकते हैं?"

भोलू ने हंसते हुए कहा, "दोस्ती के लिए यह ज़रूरी नहीं कि हम एक जैसे हों। मैं अकेला हूँ और मुझे दोस्त की ज़रूरत है। तुम भी शरारती हो और मुझे तुम्हारे साथ मज़ा आएगा।" बिल्लू ने सोचा कि अगर भोलू उससे दोस्ती करना चाहता है तो इसमें कोई बुराई नहीं है।

धीरे-धीरे बिल्लू और भोलू की दोस्ती गहरी हो गई। वे दोनों मिलकर किले में खेलते, भोलू अपनी जादुई शक्तियों से बिल्लू को उड़ाकर घुमाता, और बिल्लू अपनी शरारतों से भोलू को हंसाता। भोलू ने बिल्लू को कई जादुई ट्रिक्स भी सिखाईं।

गाँव के लोग अब भी किले से डरते थे, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि वहाँ अब भोलू और बिल्लू की दोस्ती का राज छिपा है। दोनों ने मिलकर किले को एक मजेदार और हँसी-खुशी भरी जगह बना दिया था।

कई बार गाँव के बच्चे किले के पास आते, और उन्हें अजीब-अजीब आवाज़ें सुनाई देतीं। लेकिन वे यह नहीं जानते थे कि ये आवाज़ें भोलू और बिल्लू की मस्ती और हँसी की थीं। धीरे-धीरे बच्चों में यह बात फैलने लगी कि किले में कोई भूत नहीं है, बल्कि वहाँ कोई खेल चल रहा है।

एक दिन गाँव के सभी बच्चे किले में जाकर खेलने का निर्णय करते हैं। जब वे अंदर गए, तो उन्होंने देखा कि बिल्लू और भोलू बहुत मस्ती कर रहे हैं। बच्चों ने जब भोलू को देखा, तो पहले वे थोड़े घबरा गए, लेकिन बिल्लू ने उन्हें समझाया कि भोलू दोस्ताना है और डरने की कोई जरूरत नहीं।

धीरे-धीरे सभी बच्चे भोलू के दोस्त बन गए। अब गाँव का किला एक डरावनी जगह नहीं, बल्कि एक खेल का मैदान बन गया, जहाँ बच्चे भोलू के साथ खूब मस्ती करते। भोलू भी अब खुश था कि उसे इतने सारे दोस्त मिल गए हैं, और उसकी दोस्ती बिल्लू के साथ हमेशा बनी रही।

इस तरह, बिल्लू और भोलू की दोस्ती ने साबित कर दिया कि सच्ची दोस्ती किसी भी डर या भेदभाव से ऊपर होती है।

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