कच्छ की सैर में पहला जैन तीर्थ श्री तारंगा धाम, चुली : Shree Taranga Dham Jain Derasar n Dharamshala
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 Published On May 16, 2021

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कच्छ की सैर में पहला जैन तीर्थ श्री तारंगा धाम, चुली : Shree Taranga Dham Jain Derasar n Dharamshala
Shree Taranga Dham:
संपर्क सूत्र: अध्यक्ष श्री हंसमुख भाई 98252 31528
महेंद्र भाई: 63532 32476

इस विडिओ में आपको कच्छ की सैर में पहला जैन तीर्थ श्री तारंगा धाम, चुली : Shree Taranga Dham Jain Derasar n Dharamshala के बारे मे जरूरी सम्पूर्ण जानकारी मिलेगी।

कच्छ की तरफ जाते हुए रास्ते में ध्रांगध्रा और हलवद के बीच चुली गांव के पास हाईवे पर लगभग 16 बीघा भूमि के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ श्री तारंगा विहार तीर्थ धाम अपनी बेहद मनमोहक, आकर्षक बारीकी नक्काशी की शिल्प एवं वास्तुकला के लिए बेहद प्रसिद्ध है।

प.पू. आचार्य देव श्रीमद् विजयकलापुर्ण सुरीश्वर जी महाराज साहब के शिष्य प.पू. आचार्य भगवंत श्री विजय तीर्थभद्र सुरीश्वर जी महाराज साहब की प्रेरणा और मार्गदर्शन में चुली गांव के पास एक जैन देरासर, साधु साध्वी भगवंतो के लिए दो उपाश्रय, एक भक्तिगृह का निर्माण किया गया है।

श्री तरंगा विहार धाम जैन तीर्थ के मंदिर की खास विशेषता यह है कि गुजरात में अगर देखा जाए तो ज्यादातर मंदिरे नागर शैली में बनते हैं मगर आचार्य भगवंत ने सुझाव से यहां पर द्रविड़ शैली (साउथ इंडियन) में मंदिर बनाया गया है।

लगभग 2 बीघा भूमि पर निर्मित इस पावन जिनालय के मुलनायक भगवान श्री अमिझरा अजितनाथ जी प्रभु की श्वेत वर्ण की, पदमासन और प्रसन्न मुद्रा में, 31" उंचाई की लगभग 350 वर्ष प्राचीन प्रतिमा जी प्रतिष्ठित हैं। यह प्रतिमा जी चौमुखी है बाईं ओर से प्रभु श्री आदिनाथ जी, प्रभु श्री मुनिसुव्रत स्वामी जी और प्रभु श्री महावीर स्वामी जी की पावन प्रतिमाएं भी साथ में प्रतिष्ठित हैं।

सन 2011 में पौष सुदी पंचमी के दिन इस जिनालय की प्रतिष्ठा हुई थी। द्रविड़ शैली में बनाए गए इस जिनालय का काम 13 साल से चल रहा है और 2 साल इसे पूरा होने में लगेगा।

जिनालय के गर्भ गृह में श्री गजलक्ष्मी, श्री धनलक्ष्मी, श्री आदिलक्ष्मी, श्रीधान्य लक्ष्मी, श्री संतान लक्ष्मी, श्री वीर लक्ष्मी, श्री विजय लक्ष्मी और श्री महालक्ष्मी इस प्रकार अष्ट लक्ष्मी जी की प्रतिमा जी है।

जैसलमेर स्टोन से बना हुआ यह भव्य तीर्थ के अंदर और बाहर की दीवारों, तोरण, शिखर, स्तंभों पर बारीकी से बनी कलाकृतियां सभी को अपनी ओर आकर्षित कर मंत्रमुग्ध कर देती है।

जैन मंदिर की डिजाइन अहमदाबाद के सोमपुरा मुकेश भाई ने बनाई है। पत्थरों की घड़ाई राजस्थान के शिल्पियों ने की है और इस पर नक्काशी काम उड़ीसा के कारीगरों द्वारा किया गया है।

इस पावन एवं खूबसूरत तीर्थ में आराधना भवन, गुरु मंदिर सहित सुन्दर गार्डन के मध्य बच्चों के लिए खेलने और मनोरंजन के साधन के साथ - साथ आधुनिक एसी और नॉन एसी की आवास एवं भोजनशाला की भी सुन्दर व्यवस्था है। तीर्थ का स्टाफ भी विनम्र, सहयोगी और अच्छा है..

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